Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 38
________________ = आपिंगल अगनिकणा मुम्मुर निज्जाल इंगाले [५९३] अप्पत्ता उ चउत्थे जाला पिढरं तु पंचमे पत्ता | छट्टे पुण कण्णसमा जाला समइच्छिया चरिमे = गाहा-५९४ = = = = = = = [५९४] पासोलित्तकडाहे परिसाडी नत्थि तंपिय विसालं । सोऽविय अचिरच्छूढो उच्छ्रसो नाइउसिणो य [५९५] उसिणोदगंपि धेप्पड़ गुडरसपरिणामियं अणच्चुसिणं । जं च अघट्टियकन्नं घट्टियपडणंमि मा अग्गी पासोलित्तकडाहेऽनच्चुसिणे अपरिसाडऽघटुंते । सोलस भंगविगप्पा पढमेऽणुन्ना न सेसेसु [५९७] पयसमदुगअब्भासे माणं भंगाण तेसिमा रयणा | एगंतरियं लहुगुरु दुगुणा दुगुणा य वामेसु दुविहविराहण उसिणे छड्डण हानी य भाणभेओ य । वाउक्खित्तानंतरपरंपरा पप्पडिय वत्थी [१९९] हरियाइ अनंतरिया परंपरं पिढरमाइसु वणंमि । पूपाई पिट्ठऽनंतर भरिए उबाइसू इयरा [६००] सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो । आइतिगे पडिसेहो चरिमे भंगमि भयणा उ [६०१] जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा य । एमेव य पिहियंमि वि नाणत्तमिणं तइयभंगे अंगारधूवियाई अनंतरो संतरो सरावाई । तत्थेव अइरवाऊ परंपरं बत्थिणा पिहिए अरं फलाइपिहितं वणंमि इयरं तु पिच्छ पिढराई । कच्छवसंचाराई अनंतरानंतरे छठे गुरु गुरुणा गुरु लहुणा लहुयं गुरुएण दोऽवि लहुयाई । अच्चित्तेणवि पिहिए चउभंगो दोसु अग्गेज्झं [६०५] सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग साहारणे य चउभंगो । आइतिए पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ [६०६] जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा य । तहा चेव उ साहरणे नाणत्तमिणं तइयभंगे मत्तेण जेण दाहिइ तत्थ अदिज्जं तु होज्ज असनाई । छोटु तयन्नहि तेणं देई अह होइ साहरणं [६०८] भूमाइएसु तं पुण साहरणं होइ छसु वि काएसु । जं तं दुहा अचित्तं साहरणं तत्थ चउभंगो [६०९] सुक्के सुक्कं पढमो सुक्के उल्लं तु बिइयओ भंगो । = = = = = = = = दीपरत्नसागर संशोधितः] [37] [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

Loading...

Page Navigation
1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45