Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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गाहा १६९
जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्वं ॥
[१६८ ] दस ससिहागा सावग पवयणसाहम्मिया न लिंगेण । लिंगेण उ साहम्मी नो पवयण निण्हगा सव्वे ||
[१६९] विसरिसदंसणजुत्ता पवयणसाहम्मिया न दंसणओ । तित्थगरा पत्तेया नो पवयणदंस साहम्मी || [१७०] नाणचरित्ता एवं नायव्वा होंति पवयणेणं पवयणओ साहम्मी नाभिग्गहसावगा जइणो || [१७१] साहम्मऽभिग्गहेणं नो पवयण निण्ह तित्थ पत्तेया । एवं पवयणभावण एत्तो सेसाण वोच्छामि ||
तु ।
[१७२] लिंगाईहिवि एवं एक्केक्केणं तु उवरमा नेया । जे ऽनन्ने उवरिल्ला ते मोतुं सेस एवं
[१७३] लिंगेण उ साहम्मी न दंसणे वीसुदंसि जइनिहा । पत्तेयबुद्ध तित्थंकरा य बीयमि भंगंमि ।।
[१७४] लिंगेण उ नाभिग्गह अणभिग्गह वीसुऽभिग्गहा चेव । जइसावग बियभंगे पत्तेयबुहा य तित्थयरा ।।
[ १७५] एवं लिंगेण भावण दंसणनाणे य पढमभंगो उ । जइसावग विसुनाणी एवं चिय बिइयभंगो [१७६] दंसणचरणे पढमो सावग जइणो य बीयभंगो उ । जइणो विसरिसदंसी दंसे य अभिग्गहे वोच्छं ॥
[ १७७] सावग जइ वीसऽभिग्गह पढमो बीओ य भावना चेवं । नाणेण ऽवि नेज्जेवं एत्तो चरणेण वोच्छामि
||
[१७८] जइणो वीसाभिग्गह पढमो बिय निण्हसावगजइणो उ । एवं तु भावणासु ऽवि वोच्छं दोण्हंतिमाणित्तो [१७९] जइणो सावग निण्हव पढमे बिइए य हुंति भंगे य । केवलनाणे तित्थंकरस्स नो कप्पड़ कयं तु ॥
[१८०] पत्तेयबुद्ध निण्हव उवासए केवली वि आसज्ज ।
खइयाइए य भावे पडुच्च भंगे उ जोएज्जा ।।
[१८१] जत्थ उ तइओ भंगो तत्थ न कप्पं तु सेस भयणा । तित्थंकरकेवलिणो जह कप्पं नो य सेसाणं ||
[१८२] किं तं आहाकम्मंति पुच्छिए तस्सरूवकहणत्थं । संभवपदरिसणत्थं च तस्स असणाइयं भणइ ||
[१८३] सालीमाई अवडे फले य सुंठाइ साइमं होइ ।
तस्स कडनिट्ठियंमी सुद्धमसुद्धे य चत्तारि ।।
[१८४] कोद्दवरालगगामे वसही रमणिज्ज भिक्ख सज्झाए ।
[12]
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ऽवि ।।
[ दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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[४१-पिंडनिज्जुत्ति]

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