Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 26
________________ गाहा - ३९० तच्चण्णिय आगमनं पुच्छा य अदिन्नदाणत्ति ।। [३८९] मालंमि कुट्ठ मोयग सुगंध अहि पविसणं करे डक्का । अन्नदि स आगम निद्द कहणा य संबोही ।। [३९०] आसंदिपीढमंचकजं तोडूखल पडंत उभयवहे । वोच्छेय पओसाई उड्डाहमनाणिवाओ य ।। [३९१] एमेव य उक्कोसे वारण निस्सेणि गुव्विणीपडणं । गब्भित्थिकुच्छिफोडण पुरओ मरणं कहण बोही ।। [३९२] उड्ढमहे तिरियंपिय अहवा मालोहडं भवे तिविहं । उड्ढमहे ओयरणं भणियं कुंभाइसू उभयं ।। [३९३] दद्दरसिलसोवाणे पुव्वारूढे अनुच्चमुक्खित्ते । लोहडं न होइ सेसं मालोहड होइ ।। [३९४] तिरियायय उज्जुगएण गिण्हई जं करेण पासंतो । एयमणुच्चुक्खित्तं उच्चुक्खित्तं भवे सेसं ।। [३९५] अच्छिज्जंपिय तिविहं पभू य सामी य तेणए चेव । अच्छिज्जं पडिकुट्टं समणाण न कप्पए घेत्तुं ।। [३९६] गोवालए य भयए खरए पुत्ते य धूय सुहाए । अचियत्तसंखडाई केइ पओसं जहा गोवो || [३९७] गोवपओ अच्छेत्तुं दिन्नं तु जइस्स भइदिने पहुणा । पयभाणूणं दडुं खिंसइ भोई रुवे चेडा ।। [३९८] पडियरण पओसेणं भावं नाउं जइस्स आलावो । तन्निब्बंधा गहियं हंदि उ मुक्को सि मा बीयं ।। [३९९] नानिव्विट्टं लब्भइ दासी वि न भुज्जए रिते भत्ता । दोनेगयरपओसं जं काही अंतरायं च ॥ [४००] सामी चारभडा वा संजय दट्ठूण तेसि अट्ठाए । कलुणाणं अच्छेज्जं साहूण न कप्पए घेत्तुं ।। [४०१] आहारोवहिमाई जइ अट्ठाए उ कोइ अच्छिंदे । संखडि असंखडीए तं गिण्हंते इमे दोसा || [४०२] अचियत्तमंतरायं तेनाहड एगऽनेगवोच्छेओ । निच्छुभाई दोसा तस्स अ लंभे य जं पावे [४०३] तेणो व संजयट्ठा कलुणाणं अप्पणो व अट्ठाए । वोच्छेय पओसं वा न कप्पई कप्प [४०४] संजयभद्दा तेणा आयंती वा असंथरे जणं । जइ देतिं न घेत्तव्वं निच्छुभ वोच्छेउ मा होज्जा ।। [४०५] घयसत्तुयदिट्ठतो समणुन्नाय व घेत्तुणं पच्छा । [25] [ दीपरत्नसागर संशोधितः ] || ऽणुन्नायं ।। [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

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