Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 12
________________ ।। तग्गुणविकत्थणाए अभुंजमाणे ऽवि अणुमन्ना [१५१] आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य । जह वंजणनाणत्तं अत्थेण वि पुच्छए एवं ॥ गाहा-१५२ [१५२] एगट्ठा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेव । नाणट्ठ एगवंजण नाणट्ठा वंजणानाणा ।। [१५३] दिटुं खीरं खीरं एगटुं एगवंजणं लोए । एगहें बहुनामं दुद्ध पओ पीलु खीरं च ।। [१५४] गोमहिसिअयाखीरं नाणटुं एगवंजणं लोए । घडपडसगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनामं ।। [१५५] आहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताइं पढमभंगो उ । आहाहेकम्मति य बिइओ सक्किंद इव भंगो || [१५६] आहाकम्मंतरिया असणाईं 3 चउरो तइयभंगो । आहाकम्म पडुच्चा नियमा सुन्नो चरिमभंगो ।। [१५७] इंदत्थं जह सद्दा पुरंदराई उ नाइवत्तंते । अहकम्म आयहम्मा तह आहं नाइवत्तंते ।। [१५८] आहाकम्मेण अहे करेति जं हणइ जं तं आइयमाणो परकम्मं अत्तणो कुणइ ।। [१५९] कस्सत्ति पुच्छियमी नियमा साहम्मियस्स तं होइ । साहम्मियस्स तम्हा कायव्व परूवणा विहिणा ।। [१६०] नाम ठवणा दविए खेत्ते काले य पवयणे लिंगे । दंसण नाण चरित्ते अभिग्गहे भावणाओ य ।। [१६१] नामंमि सरिसनामो ठवणाए कट्ठकम्ममाईया । दव्वंमि जो उ भविओ साहमिसरीरगं जं च ।। [१६२] खेत्ते समाणदेवी कालंमि समाण कालसंभूओ । पवयणि संघेगयरो लिंगे रयहरण मुहपोत्ती ।। [१६३] दंसण नाणे चरणे तिग पण पण तिविह होइ उ चरित्ते । दव्वाइओ अभिग्गह अह भावणमो अनिच्चाई ।। [१६४] जावंत देवदत्ता गिही व अगिहीव तेसि दाहामि । नो कप्पई गिहीणं दाहंति विसेसियं कप्पे ।। [१६५] पासंडीस् न वि एवं मीसामीसेस होइ हु विभासा | समणेस संजयाण 3 विसरिसनामाणवि न कप्पे ।। [१६६] नीसमनीसा व कडं ठवणासाहम्मियंमि उ विभासा | दव्वे मयतणुभत्तं न तं तु कुच्छा विवज्जेज्जा ।। [१६७] पासंडियसमणाणं गिहिनिग्गंथाणं चेव उ विभासा | दीपरत्नसागर संशोधितः] [11] [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

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