Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 14
________________ खेत्तपडिलेहसंजय सावयपुच्छुज्जुए कहणा ।। [१८५] जुज्जइ गणस्स खेत्तं नवरि गुरूणं तु नत्थि पाउग्गं । सालित्ति कए रुंपण परिभायण निययगेहेसु ।। गाहा-१८६ ॥ [१८६] वोलिंता ते व अन्ने वा अडता तत्थ गोयरं । सुणंति एसणाजुत्ता बालादिजनसंकहा ।। [१८७] एए ते जेसिमो रद्धो सालिकूरो घरे घरे । दिन्नो वा सेसयं देमि देहि वा बिति वा इमं ।। [१८८] थक्के थक्कावडियं अभत्तए सालिभत्तयं जायं । मज्झ य पइस्स मरणं दियरस्स य से मया भज्जा ।। [१८९] चाउलोदगंपि से देहि सालीआयामकंजियं । किमेयंति कयं नाउं ? वज्जंत ऽन्नं वयंति य [१९०] लोणागडोदए एवं खाणित्तु महोदगं । ढक्किएण ऽच्छते ताव भागया [१९१] कक्कडिय अंबगा वा दाडिम दक्खा य बीयपूराई । खाइम हिगरणकरणंति साइमं तिगड्गाईयं ।। [१९२] असणाईण चउण्हवि आमं जं सागहणपाउग्गं । तं निट्ठियं वियाणसु उवक्खडं तू कडं होइ ।। [१९३] कंडियतिगुणुक्कंडा उ निट्ठिया नेगदुगुणकंडा उ । निट्ठियकडो उ कूरो आहाकम्मं दुगुणमाहु ।। [१९४] छायंपि विवज्जंती केई फलहेउगाइवुत्तस्स । तं तु न जुज्जइ जम्हा फलंपि कप्पं बिइयभंगे ।। [१९५] परपच्चइया छाया नवि सा रुक्खोव्वं वट्टिया कत्ता | नढच्छाए उ दुमे कप्पड़ एवं भणंतस्स ।। [१९६] वड्ढइ हायइ छाया तच्छिक्कं पूइयंपिव न कप्पे । न य आहाय सुविहिए निव्वत्तयई रविच्छायं ।। [१९७] अघनघनचारिगगणे छाया नट्ठा दिया पुणो होइ । कप्पड़ निरायवे नाम आयवे तं विवज्जेउं ।। [१९८] तम्हा न एस दोसो संभवई कम्मलक्खणविहणो । तंपिय हु अइघिल्ला वज्जेमाणा अदोसिल्ला || [१९९] परपक्खो उ गिहत्था समणा समणीउ होइ उ सपक्खो | फासुकडं रद्धं वा निट्ठियमियरं कडं सव्वं ।। [२००] तस्स कडनिट्ठियंमी अन्नस्स कडंमि निहिए तस्स | चउभंगो इत्थ भवे चरमदुगे होइ कप्पं तु ।। [२०१] चउरो अइक्कम वइक्कमो य अइयार तह अनायारो । दीपरत्नसागर संशोधितः] [13] [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

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