Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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गाहा - २३७
दुहा खी पच्चरसंतिकाउं रायावि चंदोदयमेव गच्छे || [२३६] पत्तलदुमसालगया दच्छामु निवंगणत्ति दुच्चित्ता । उज्जानपालएहिं गहिया य हया य बद्धा य ।।
[२३७] सहस पइट्ठा दिट्ठ इयरेहि निवंगणत्ति तो बद्धा । निंतस्स य अवरण्हे दंसणमुभओ वहविसग्गा ।। [२३८] जह ते दंसणकंखी अपूरिइच्छा विनासिया रण्णा । दिट्ठे s वियरे मुक्का एमेव इहं समोयारो
[२३९] आहाकम्म भुंजइ न पडिक्कमए य तस्स ठाणस्स । एमेव अडइ बोडो लुक्कविलुक्को जह कवोडो ।।
[२४०] आहाकम्मद्दारं भणियमियाणिं पुरा समुद्दि । उद्देसियंति वोच्छं समासओ तं दुहा होइ ।।
[२४१] ओहेण विभागेण य ओहे ठप्पं तु बारस विभागे । उद्दिट्ठ कडे कम्मे एक्केक्कि चउक्कओ भेओ ।।
[२४२] जीवामु कहवि ओमे निययं भिक्खावि कइवई देमो । हंदि हुन अदिन्नं भुज्जइ अकयं न य फलेइ ।। [२४३] सा उ अविसेसियं चिय मियंमि भत्तंमि तंडुले छुहइ । पासंडीण गिहीण व जो एहिइ तस्स भिक्खट्ठा ।।
[२४४] छउमत्थोधुद्देसं कहं वियाणा
? चोइए भणइ ।
उवउत्तो गुरु एवं गिहत्थसद्दाइचिट्ठाए ।।
[२४५] दिन्ना उ ताउ पंचवि रेहाउ करेइ देइ व गणंति । देह इओ मा य इओ अवणेह य एत्तिया भिक्खा ।। [२४६] सद्दाइएसु साहू मुच्छं न करेज्ज गोयरगओ य । एसणजुत्तो होज्जा गोणीवच्छो गवत्तिव्व ।।
तु
[२४७] ऊसवमंडणवग्गा न पाणियं वच्छए नविय चारिं । वणियागम अवरण्हे वच्छगरडणं खरंटणया ।। [२४८] पंचविहविसयसोक्खक्खणी वहू समहियं हिं तं न गणेइ गोणिवच्छो मुच्छिय गढिओ गवत्तंमि ।। [२४९] गमनागमनुक्खेवे भासिय सोयाइ इंदियाउत्तो । एसणमनेसणं वा तह जाणइ तम्मणो समणो || [२५०] महईए संखडीए उव्वरियं कूरवंजणाईयं । पठरं दट्ठूण गिही भणइ इमं देहि पुण्णट्ठा ।। [२५१] तत्थ विभागुद्देसियमेवं संभवइ पुव्वमुद्दिवं । सीसगणहियट्ठाए तं चेव विभागओ भणइ || [२५२] उद्देसियं समुद्देसियं च आएसियं समाएसं ।
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[ दीपरत्नसागर संशोधितः ]
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[४१-पिंडनिज्जुत्ति]

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