Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 10
________________ ऽहेकम्मं ।। सीईए रज्जुएण व ओयरणं दव्व [११७] संजमठाणाणं कंडगाण लेसा-ठिई-विसेसाणं । भावं अहे करेई तम्हा तं भाव ऽहेकम्मं ।। गाहा-११८ [१२५] [११८] तत्थानंता उ चरित्तपज्जवा होंति संजमट्ठाणं । संखइयाणि उ ताणि कंडगं होइ नायव्वं ।। [११९] संखाईयाणि 3 कंडगाणि छट्ठाणगं विनिद्दिढ । छट्ठाणा उ असंखा संजमसेढी मुणेयव्वा ।। [१२०] किण्हाइया उ लेसा उक्कोसविसुद्धिठिइविसेसाओ । एएसि विसुद्धाणं अप्पं तग्गाहगो कुणइ ।। [१२१] भावोवयारमाहेउमप्पगे किंचिनूण चरणग्गो | आहाकम्मग्गाही अहो अहो नेइ अप्पाणं ।। [१२२] बंधइ अहे भवाऊ पकरेइ अहोमुहाई कम्माइं । घनकरणं तिव्वेण उ भावेण चओ उवचओ य ।। [१२३] तेसि गुरुणमुदएण अप्पगं दुग्गईए पवडतं । न चएइ विधारेउं अहरगतिं निति कम्माइं ।। [१२४] अट्ठाए अणट्ठाए छक्कायपमद्दणं तु जो कुणइ । अनियाए य नियाए आयाहम्मं तयं बेंति ।। अजाणतो तहेव निद्दिसिय ओहओ वाऽवि | जाणगमजाणगे वा वहेइ अनिया निया एसा ।। [१२६] दव्वाया खलु काया भावाया तिन्नि नाणमाईणि । परपाणपाडणरओ चरणायं अप्पणो हणइ ।। [१२७] निच्छयनयस्स चरणाय विधाए नाणदंसणवहोऽवि । ववहारस्स उ चरणे हयंमि भयणा उ सेसाणं ।। [१२८] दव्वंमि अत्तकम्मं जं जो उ ममायए तगं दव्वं । भावे असुहपरिणओ परकम्मं अत्तणो कुणइ ।। [१२९] आहाकम्मपरिणओ फासुयमवि संकिलिट्ठपरिणामो | आइयमाणो बज्झइ तं जाणसु अत्तकम्मति ।। [१३०] परकम्म अत्तकम्मीकरेइ तं जो उ गिहिउं भुंजे । तत्थ भवे परकिरिया कहं न अन्नत्थं संकमई [१३१] कूडउवमाइ केई परप्पउत्तेऽवि बेंति बंधोत्ति । भणइ गुरूवि पमत्तो बज्झइ कूडे अदक्खो य ।। [१३२] एमेव भावकडे बज्झइ जो असभभावपरिणामो | तम्हा उ असुभभावो वज्जेयव्वो पयत्तेणं ।। [१३३] कामं सयं न कुव्वइ जाणंतो पुण तहावि तग्गाही । ? || दीपरत्नसागर संशोधितः] [9] [४१-पिंडनिज्जुत्ति]

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