Book Title: Agam 41 Pindnijutti Beiyam Mulsuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 9
________________ अन्नयावि झरंति झरा न य एवं बहओदगा ।। [१००] उग्गम उग्गोवण मग्गणा य एगट्ठियाइ एयाणि | नाम ठवणा दविए भावंमि य उग्गहो होइ ।। गाहा-१०१ [१०१] दव्वंमि लड्डुगाई भावे तिविहोग्गमो म्णेयव्वो । दंसणनाणचरित्ते चरिउग्गमेणेत्थ अहिगारो ।। [१०२] जोइसतणोसहीणं मेहरिणकराणम्ग्गमो दव्वे । सो पुण जत्तो य जया जहा य दव्वुग्गमो वच्चो ।। [१०३] वासहरा अनुजत्ता अत्थाणी जोग्ग किड्डकाले य । घडगसरावेसु कया 3 मोगया लड्डुगपियस्स ।। [१०४] जोग्ग अजिण्ण मारुय निसग तिसमुत्थ तो सुइसमुत्थो । आहारुग्गमचिंता असुइत्ति दुहा मलप्पभवो ।। [१०५] तस्सेवं वेरग्गुग्गमेण सम्मत्तनाणचरणाणं । जुगवं कमुग्गमो वा केवलनाणुग्गमो जाओ || [१०६] दंसणनाणप्पभवं चरणं सुद्धेसु तेसु तस्सुद्धी । चरणेण कम्मसुद्धी उगमसमुद्धीइ चरणसुद्धी ।। [१०७] आहाकम्मुद्देसिय पूईकम्मे य मीसजाए य । ठवणा पाहुड़ियाए पाओअर कीय पामिच्चे ।। [१०८] परियट्टिए अभिहडे उब्भिन्ने मालोहडे इय । अच्छिज्जे अनिसिढे अज्झोयरए य सोलसमे ।। [१०९] आहाकम्मियनामा एगट्ठा कस्स वावि किं वावि ? | परपक्खे य सपक्खे चउरो गहणे य आणाई ।। [११०] आहा अहे य कम्मे आयाहम्मे य अत्तकम्मे य । पडिसेवण पडिसुणणा संवास ऽनुमोयणा चेव ॥ [१११] धनुजुयकायभराणं कुटुंब-रज्जधुरमाइयाणं च | खंधाई हिययं मिय दव्वाहा अंतए धणुणो ।। [११२] ओरालसरीराणं उद्दवण तिवायणं च जस्सट्ठा । मणमाहित्ता कीरइ आहाकम्मं तयं बैंति ।। [११३] ओरालग्गहणेणं तिरिक्खमनुयाऽहवा सुहमवज्जा | उद्दवणं पुण जाणसु अइवायविवज्जियं पीडं ।। [११४] कायवइमनो तिन्नि उ अहवा देहाउइंदियप्पाणा । सामित्तावायाणे होइ तिवाओ य करणेस य ।। [११५] हिययंमि समाहे एगमनेगं च गाहगं जो उ । वहनं करेइ दाया कायेण तमाहकम्मं ति ।। [११६] जं दव्वं उदगाइस ढमहे वयइ जं च भारेणं । दीपरत्नसागर संशोधितः] [४१-पिंडनिज्जुत्ति] [8]Page Navigation
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