Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandin लिप्तीहं - २/७४ (७४) जे भिक्खू नहच्छेयणगस्स उत्तरकरणं सयमेव करेति करेंतं वा सातिजति 1१६]-16 (७५) जे भिक्खू कण्णसोहणयस्स उत्तकरणं सयमेव करेति करेंतं वा सातिअति ।१७-17 (७१)जे भिक्खू लहुसगंफरुसं वयति ययंत या सातिअति ।१८:18 (७७) जे भिक्खू लहुसगंपुसं वयति वयंतं वा सातिअति।१९।-19 (७८) जे भिक्खू लहुसगं अदत्तं आदियति आदियंतं वा सातिजति २०1-20 (७९) जे भिक्खू लहसएण सीओदग-वियडेण या उसिणोदग-वियडेण वा हत्थाणि वा पादाणि वा दंताणि वा मुहाणि वा उच्छोलेझ वा पधोवेज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा०।२१1-21 (८०) जे भिक्खू कसिणाइंचमाइं धरेति धरेतं वा सातिजति ।२२:22 (८१) जे भिक्खू कसिणाई वत्थाई धरेति धोतं वा सातिजति।२३।-23 (८२) जे भिक्खू अभिण्णाई यथाइंधरेइधरेतं या सातिजति ।२४1-24 (८३) जे भिक्खू लाउयपायं वा दारुपायं वा मष्ट्रियापायं वा सयमेव परिघटेति वा संठवेति वा जमावेति या परिघटेतं वा संठवेंत या जमावेंतं वा सातिजति।२५/-26 (४) जे भिक्खू दंडगं वा लट्ठियं वा अवलेहणियं वा वेणुसूइयं वा सयमेय परिघटेति या संठवेति या जमावेति वा परिघटेंतं वा संठवेंतं वा जमावेंतं वासातिजति।२६/-28 (८५) जे भिक्खू नियग-गवेसियं पडिणाहगंधरेति धरैत वा सातिञ्जति |२७:27 (८६)जे भिक्खू पर-गवेसियं पडिग्गहगंधरेति धरेत वा सातिजति ।२८1-28 (८७) जे भिक्खू वर-गवेसियं पडिग्गहगं धोति धरेत वा सातिजति २९129 (42)जे भिक्खू बल-गवेसियं पडिग्गहगं धरेति धरेतं वा सातिञ्जति।३०130 (८९) जे भिक्खू लव-गदेसियं पडिग्गहगंधरेति धरतं वा सातिजति।३१31 (९०) जे भिक्खू नितिय अग्गपिंड जति भुजंतं वा सातिजति।३२।-32 (९१) जे भिक्खू नितियं पिंडं भुजति भुजंतं वा सातिनति ३३|-33 (५२) जे भिक्खू नितियं अवड्ढे भुंजति भुंजंतं वा सातिजति ।३४.94 (९३) जे भिक्खूनितियं भागं भुंजति भुजंतं या सातिजति।३५135 (९४) जे भिक्खू नितियं अवड्ढभागं भुंजति भुंजते या सातिअति।३६:36 (९५) जेभिक्खू नितियं वासं यसति वसंतं वा सातिञ्जति ।३७।-37 (९६) जेभिक्खू पुरेसंघवंवा पच्छासंथवं वा करेति करेंतं वा सातिअति।३८1-38 {९७) जे भिक्खू समाणे वा वसमाणे या गामाणुगापं या दूइजमाणे पुरे संथुयाणि वा पच्छासंथुयाणि वा कुलाई पुवामेव पच्छा वा भिक्खायरियाए अनुपविसति अनुपविसंतं वा सातिजति ।३९।-39 (९८) जे भिक्खू अन्नउत्थिएण या गारथिएण या परिहारिओ अपरिहारिएणं सद्धि गाहावइ-कुलं पिंडवाय-पडियाए अनुपविप्तति वा निक्खमति या अनुपविसंतं वा निक्खमंतं वा सातिअति।४०|-40 (९१) जे भिक्खू अनउत्यिएण वा गारथिएण वा परिहारिओ अपरिहारिएण सद्धिं बहिया वियारभूमिं वा विहारभूमि वा निक्खमति वा पविसति वा निक्खमंतं वा पविसंतं वा सातिजति ___|४१|-41 (१००) जे भिक्खू अन्नउत्थिएण वा गारथिएण वा परिहारिओ अपरिहारिएहिं सद्धिं गामाणुगाम दूइजति दूइअंतं या सातिञ्जति ।।२।-42 For Private And Personal Use Only


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