Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 18
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वसो-३ अन्नउस्थिणीहि वा गारतियणीहिं वा असनं वा पाणं या खाइमं या साइमं वा अमिहडं आहट दिनमाणं पडिसेहेत्ता तमेव अनुवत्तिय-अनुवत्तिय परिवेदिय-परिवेदिय परिजविय-परिजविय ओभासति ओभासंतं वा सातिजति।१२। [९-१२]-12 (१३०) जे भिक्खू गाहावइकुलं पिंडवाय-पडियाए पयिष्टे पडियाइक्खिए समाणे दोचं तमेव कुलं अनुष्पविसति अनुप्पविसंतं वा सातिजति ।१३1-13 (१३१) जे भिक्खू संखड़ि-पलोयणाए असनं या पाणं या खाइमं वा साइमं या पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिजति !१४1-14 (१३३) जे भिक्खू गाहावइकुलं पिंडवाय-पडियाए अनुपविठू समाणे परं ति-घांतराओ असनं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा अभिहडं आहट्ट दिज्जमाणं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वा सातिञ्जति 1१५1-15 (१३३) जे भिक्खू अप्पणो पाए आमजेज वा पमञ्जेज वा आमजंतं वा पमजतं वा सातिञ्जति।१६।-16 (१३४) जे भिक्खू अप्पणो पाए संवाहेज वा पलिमद्देन या संवाहेतं वा पलिमद्देतं वा सातिजति ।१७1-17 __ (१३५) जे भिक्खू अप्पणो पाए तेल्लेण वा घएण वा बसाए वा नयनीएण वा अब्मंगेज वा मक्खेज वाअब्भंगेंतं वा मक्खेंतं वा सातिजति ११८1-18 (१३६) जेभिक्खू अप्पणो पाए लोद्धेण वा कक्केण या चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उबट्टेज वा उल्लोलेंतं या उन्वटेंतं वा सातिजति ।१९19 (१३७) जे भिक्खू अप्पणो पाए सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज घापोवेज वा उचोलेंतं वा पधोतं वा सातिञ्जति २०|-20 (१३८) जे भिक्खू अप्पणोपाए फुमेज्ज वा रएज्न वा फुतं वा रएतं वा सातिजति |२१1-21 (१३९) जे भिक्खू अप्पणो कायं आभजेज वा पपजेज वा आमजंतं वा पमजंतं या सातिञ्जति।२२१-22 (१४०) जे भिक्खू अप्पणो कार्य संबाहेज या पलिमद्देन वा संवाहेंतं वा पलिमद्देतं या सातिजति ।२३1-29 (१४१) जे भिक्खू अप्पणो कार्य तेल्लेण वा पएण वा बसाए वा नवनीएण वा अब्मंगेज्ज वा मक्खेज वा अमंगेतं वा मक्खेंतं वा सातिनति।२४।-24 (१४२) जे भिक्खू अप्पणो कायं लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज वा उच्वट्टेल वा उल्लोलेंतं वा उव्वटेंतं वा सातिजति ।२५1-25 (१४३) जे भिक्खू अप्पणो कायं सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-विपडेण वा उच्छोलेज वापयोवेज या उच्छोलेंतं वा पधोयेंतं वा सातिजति ।२६।-28 (१४४) जे भिक्खू अप्पणो कार्यफुमेझ वा रएज वा फुमेंतं वा रएतं वा सातिजति ।२७427 (१४५) जे भिक्खू अप्पणो कार्यसि वणं आमज्जेज या पमजेज वा आमजंतं वा पमजंतं वा सातिजति।२८1-28 (१४६) जे भिक्खू अप्पणो कार्यसि वणं संवाहेज घा पलिमद्देश या संवाहेंतं वा पलिमद्देतं वा सातिजति:२९।-29 For Private And Personal Use Only

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