Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 22
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १३ उद्देश् ( १९५) जे भिक्खू असोगवनंसि वा सत्तिवण्णवनंसि या चंपगवनंसि वा चूयवनंसि वा अन्नतरेसु तहप्पारेसु वा पत्तोवएसु पुप्फोवएसु फलोवएसु छाओवएसु उच्चारं वा पासवणं वा परिद्ववेति परिद्ववेंतं वा सातिज्जति । ७८1-79 (१९६) जे भिक्खू राओ वा वियाले वा उच्चार पासवणेण उब्बाहि माणे सपायंसि वा परपायंसि वा उच्चार- पासवणं परिद्ववेत्ता अनुग्गए सूरिए एडेति एडेंतं वा सातिजतितं सेवमाणे आवज मासियं परिहारट्ठाणं उष्पातियं । ७९।-80 • तइओ उद्देसो सपत्तो चउत्थो - उद्देसो (१९७) जे भिक्खू रायं अतीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिजति 191-2 ( १९८) जे भिक्खू रायं अत्रीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिजति १२ । -7 ( १९९) जे भिक्खू रायं अत्यीकरेति अत्यीकरेंतं वा सातिजति 1३1-13 (२००) जे भिक्खू रायारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेतं वा सातिजति |४| - 2 (२०१) जे भिक्खि रायारक्खियं अच्चीकरेति अच्चीकरेंतं वा सातिज्जति । ५/-8 (२०२) जे भिक्खु रायारक्खियं अत्तीकरेति अत्यीकरेंतं वा सातिजति १६ । -14 (२०३) जे भिक्खू नगरारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिजति 191-3 (२०४) जे भिक्खू नगरारक्खियं अच्चीकरेति अञ्जीकरेंतं वा सातिजति | ८ | (२०५) जे भिक्खू नगरारक्खियं अत्थीकरेति अत्यीकरेंतं वा सातिञ्जति ।९। -15 (२०६) जे भिक्खू निगमारक्खियं अत्तीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिजति 1901-4 (२०७) जे भिक्खु निगमारक्खियं अचीकरेति अग्रीकरेंतं बा सातिजति 199/- 10 ( २०८) जे भिक्खू निगमारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिजति 1921-16 (२०९) जे भिक्खू देसारक्खियं अतीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिञ्जति । १३/-5 (२१०) जे भिक्खू देसार क्खियं अघीकरेति अञ्चीकरेंतं वा सातिजति । १४३ -11 (२११) जे भिक्खू देसारक्खियं अत्यीकरेति अत्यीकरेंतं वा सातिचति । १५1-7 (२१) जे भिक्खू सव्वारक्खियं अतीकरेति अत्तीकरेंतं वा सातिजति ११६ । (२१३) जे भिक्खू सच्चारक्खियं अच्चीकरेति अञ्चीकरेंतं वा सातिज्जति ।1७1-2 (२१४) जे भिक्खू देसारक्खियं अत्थीकरेति अत्थीकरेंतं वा सातिशति ॥१८/-8 (२१५) जे भिक्खू कसिणाओ ओसहीओ आहारेति आहारेंतं वा सातिजति 1991-19 (२१६) जे भिक्खू आयरिय उवज्झाएहिं अविदिष्णं विगतिं आहारेति आहारेंतं वा सातिजति । २० - 20 21 (२१७) जे भिक्खू ठरण- कुलाई अजाणिय अपुच्छिय अगवेसिय पुव्वामेव पिंडवायपडियाए अनुष्पविसति अनुप्पयिसंतं वा सातिजति । २91-22 (२१८) जे भिक्खू निग्गंधीणं उदस्तयंसि अविहीए अनुष्पविसति अनुष्पविसंतं वा सातिजति ।२२। -23 (२१९) जे भिक्खू निग्गंधीणं आगमनपहंसि दंडगं वा लट्ठियं वा रयहरणं वा मुहप्पोत्तियं वा अन्नयरं वा उवगरणजायं ठवेति ठवेंतं वा सातिजति । २३। -24 (२२०) जेभिक्खूनवाई अनुप्पण्णाई अहिगरणाई उप्पाएति उप्पाएंतं वासातिजति । २४ -25 For Private And Personal Use Only

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