Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 28
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उद्देसो-४ (३२१) जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिधा सम्झायं अनुजाणति अनुजाणंतं वा सातिजति। (३२२) जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिया सज्झायं वाएति याएंतं वा सातिमति।९।-9 (३२३) जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिचा सज्झायं पडिच्छति पडिच्छति वा०।१०-10 (३२४) जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिच्या सज्झायं परियद्देति परियडूतं वा०] 1991-11 (३२५) जे भिक्खू अप्पणो संघाडि अण्णउत्थिएण वा गारथिएण वा सिव्वावेति सिव्यात वा सातिञ्जति ।१२।-12 (३२६) जे भिक्खू अप्पणो संघाडीए दीह-सुताई करेति करेंतं वा सातिज्जति ।१३।-13 (३२७) जे भिक्खू पिउमंद-पलासयं वा पडोल-पलासयं वा बिल्ल-पलासयं वा सीओदगवियडेण वाउसिणोदग-वियडेणयासंफाणिय-संफाणियआहारेतिआहारेतवासातिञ्जति।१४।-14 (३२८) जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणयं जाइत्ता तमेव रयणि पञ्चप्पिणिस्सामित्ति सुए पच्चप्पिणति पञ्चप्पिणंतं वा सातिद्धति।१५।-15 (३२१) जे भिक्खू पाडिहारियं पायपुंछणयं जाइता सुए पञ्चप्पिणिस्सामित्ति तमेव रयणिं पञ्चप्पिणतिपचप्पिणतं वा सातिजति।१६1-16 (३३०) (जे भिक्खू सागारियं-संतियं पायपुंछणयं जाइत्ता तमेव रचणि पञ्चप्पिणिस्सामित्ति सुए पच्चप्पिणति पञ्चप्पिणंतं वा सातिअति।१७1-17 (२३१) जे पिक्खू सागारियं संतियं पायपुंछणय जाइता सुए पञ्चप्पिणिस्सामित्ति तमेव रयणिं पचप्पिणति पञ्चप्पिणतं वा सातिजति)।१८1-18 (१२) जे भिक्खू पाडिहारियं दंडयं वा लट्ठियं वा अयलेहणियं वा वेणसई वा [जाइत्ता तमेवरयणिं पञ्चप्पिणिस्सामित्ति सुए पच्चप्पिणति पञ्चप्पिणंतं वा सातिजति ।१९1-19 (३५३) जे भिक्खू पाडिहारियं दंडयं या लट्टियं वा अवलेहणियं वा वेणुसूई वा जाइत्ता सुए पञ्चप्पिणिस्सामित्ति तमेव रयणि पच्चप्पिणति पथप्पिणतं या सातिजति।२०।-20 (३) जे भिक्खूसागारिय-संतियं दंइयं वा लट्ठियं वा अवलेहणियं या वेणुसूई या जाइत्ता तमेव रयणिं पञ्चप्पिणिस्सामिति सुए पञ्चप्पिणति पञ्चप्पिणंतं या सातिअति] 1291-21 (३३५) जे भिक्खू सागारिय-संतियं दंडयं वा लट्ठियं वाअवलेहणियं वा वेमुसूई वा जाइत्ता सुए पच्चप्पिणिस्सामित्ति तमेवरयणि पचप्पिणति पञ्चप्पिणंतं वा सातिजति ।२२१-22 (३५६) जे भिक्खू पाडिहारिय सेञ्जा-संथारयं पञ्चप्पिणित्ता दोचं पि अणणुण्णविय अहिडेति अहिडेतं वा सातिजति एवं सागारिय संतिए वि।२३। (३५७) जे भिक्खू पाडिहारियं वा सागारिय संतियं वा सेजा संथारयं पञ्चप्पिणिता दोच्चं पि अणणुण्णविय अहितुति अहिडेतं वा सातिञ्जति ॥२४॥ (३३८) जे भिक्खू पाडिहारियं वा सागारिय-संतियं वा सेज्जासंथारयं पञ्चप्पिणिता दोच्चं पि अणणुण्णविय अहिद्वेति अहिडेत या सातिजति ।२५1-29 (२३९) जे भिक्खू सणकप्पासाओ वा उण्णकप्पासाओ वा पोंडकप्पासाओ वा अमिलकप्पासाओ यादीह-सुतं करेति करेंत वा सातिजति ।२६।-24 (३४०) जे भिक्खू सचित्ताई दारुदंडाणि या वेणुदंडाणि वा वेत्तदंडाणि वा करेति करेंतं वा सातिजति।२७1-25 For Private And Personal Use Only

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