Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 66
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - गोसो-१५ सातिअति! ०४-104 (१००१) जे भिक्खू विभूसायडियाए अप्पणो कार्य आमञ्जेज वा पमलेन वा आमजतं वा पमअंतं वा सातिञ्जति ।१०५-105 (१०१०) जे मिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कार्य संवाहेन वा पलिमहे या संवाहेंत वा पलिमतं वा सातिजति।१०६।-108 (१०११) जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कार्य तेल्लेण वा घएण वा बसाए वा नवणीएण वा अमंगेश वा मक्खेज्ज वा अमंगेतं वा मक्खेंतं वा सातिझति।१०७-107 । (१०१२) जे भिक्खू विमूसायडियाए अप्पणो कायं लोद्धेण वा कक्केण वा पुण्णेण वा घण्णेण वा उल्लोलेन या उव्यहेज वा उल्लोलेंतं वा उव्वटेंतं या सातिजति।१०८-100 (१०३) जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कायं सीओदग-वियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेश या पथोवेन वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा सातिञ्जति ।१०९)-100 (१०१४) जे भिक्खू विभूसावडियाए अपणो कायं फुपेज वा रएज्ज वा फुतं वा रएतं या सातिजति।११०-110 (१०१५) जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कार्यसि वणं आमजेन या पमझेन या आमजंतं वा पमजंतं वा सातिञ्जति।१११1.111 (१०१६) जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कार्यसि वणं संवाहेन वा पलिमद्देन वा संवाहेंतं वा पलिमहेंतं वा सातिजति।११२/-112 (१०१७) जे भिक्खू विभूसावड़ियाए अप्पणो कार्यसि वणं तेल्लेण वा घएण या वसाए वा नवणीएण वा अमंगेश वा मक्खेज वा अमंगेंतं या मक्खेंतं या सातिजति।११३-113 (१०१८)जे भिक्खू विभूसायडियाए अप्पणो कार्यसि वणं लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण या यण्णेण वा उल्लोलेज या उव्यदृश वा उल्लोलेंतं वा उव्वडेतं वा सातिजति।११४-114 (१०१९) जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कार्यसि यणं सीओदग-वियडेण या उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज वा पधोवेज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा सातिजति ११५-115 (१०२०) जे भिक्खू विभूसायडियाए अप्पणो कार्यसि वर्ण फुसेज वा रएज वा फुतं या रएतं वा सातिञ्जति । १६-118 (१०)जे भिक्ख विसावडियाए अप्पणो कार्यसि गंडं या पिडयं या अरइयं या असियं भगंदलं वा अण्णयरेणं तिक्तेणं सत्यजाएणं अच्छिदेश या विच्छिदेज्ज वा अच्छिदंतं या विच्छिदेंतं वासातिजति ।११७1-117 (१०२२) जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कार्यसि जाय विञ्छिदित्ता वा पूर्व वा सोणियं वा नीहरेज वा विसोहेज या नीहरेंत या विसोहेंतं वा सातिजति।११८-118 (१०२३) जे भिक्खू विभूसायडियाए अप्पणो कार्यसि जाव नीहरिता या सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज वा पघोवेश या उच्चोलेंतं या पधोतं वा०1११९1-119 (101)जे मिक्खु विभूसावडिपाए अप्पणो कार्यसि जाय उच्छोलेत्ता या पधोएता या अण्णयरेणं आलेयणजाएणं आलिंपेज वा विलिंपेज वा आलिंपतं वा विलिंपतं वा सातिजति १२०-120 (१०२५) जे भिक्खू विभूसावडियाए अप्पणो कार्यसि जाव पथोएता वा अण्णयरेणं For Private And Personal Use Only

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