Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उसो-९ वा अब्धंगाणं वा उन्चट्टाण वा मञ्जावयाण वा मंडावयाण वा छतागहाण वा चामरगहाण वा हडप्पागहाण वा परियट्टागहाण वा दीवियागहाण वा असिग्गहाण या धणुग्गहाण या सत्तिगहाण वा कोंतगहाण बा।२६1-28 (६०६) जे भिक्खू रणो (खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धा] भिसित्ताणं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइपं वा परस्स नीहडं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं या सातिञ्जति तं जहा-यरिसघराण वा कंचुइजाण देवारियाण वा दंडारक्खियाण था।२७1-27 (६०७) जे भिक्खू रण्णो खत्तियाणं मुदियाणं मुद्धा मिसित्ताणं असणं वा पाणं या खाइमं वा परस्स नीहडं पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं या सातिझति तं जहा-खुजाण वा [चिलाइयाण वा वामणीण वा वडभीण वा बब्बरीण वा पउसीण वा जोणियाण या पत्हवियाण वा ईसिणीण वा थारुगिणीण वा लासीण वा लउसीण वा सिंहलीण वा एमिलीण वा आरवीण वा पुलिंदीण वा पक्कणीण वा बहलीण वा मरुंडीण या सबरीण वा] पारसीण या-तं सेवमाणे आवजा चाउम्मासियं परिहारखाणं अनुग्पातियं ।२८1-20 .नवमो उद्देसो समतो. दसमो-उद्देसो (१०८) जे भिक्ख भदंत आगाढं वदति वदंतं वा सातिजति ।१1-1 (६०९) जे भिक्खूभदंतं फरुसं वदति वदंतं वा सातिजति।२।-2 (६१०) जे भिक्खू भदंतं आगाढं फरुसंवदति वदंतं वा सातिजति।३।३ (६१) जे भिक्खू भदंतं अण्णयरीए अचासायणाए अम्रासाएति अच्चासाएंतं वा०।४।-4 (६१२) जे भिक्खू अनंतकायसंजुत्तं आहारं आहारेति आहारेंत या सातिञ्जति। (६१३) जे भिक्खू आहाकम्म जति जंतं वा सातिजति ।।6 (६१४) जे भिक्खू पडुप्पन्नं निमित्तं वागरेति वागरेंतंवा सातिजति 1७17 (६१५) जे भिक्खू अनायगंनिमित्तं वागरेति वागरेंतवासातिन्नति।८1-8 (६१६) जे भिक्खू सेहं अवहरति अवहरतं वा सातिजति।।.8 (६१७) जे भिक्खू सेहं विप्परिणामेति विप्परिणामेंतं वासातिझति।१०१.१० (६१८) जे भिक्खूदिसंअवहरति अवहतं वा सातिञ्जति ।११1-11 (११)जे भिक्खू दिसं विप्परिणामेति विप्परिणामेंतं वा सातिन्नति १२:12 (६२०) जे भिक्खू बहियावासियं आदेसं परं ति-रायाओ अविफालेत्ता संयसावेति संवसावेंतं वा सातिञ्जति।१३।-13 (१२१) जे भिक्खू साहिगरणं अविओसचिय-पाहुई अकडपायच्छित्तं परं ति-रायाओ विप्फालिय अविष्फालिय सं जति संभुजंतं वा सातिजति 1१४:14 (६२२) जे भिक्खू उग्घातियं अनुग्घातियं वदति वदंतं वा सातिजति।१५1-15 (६२३) जे भिक्खू अनुग्धातियं उग्घातियं वदति वदंतं वा सातिजति।१६1-16 (१२४) जे भिक्खू उग्धातियं अनुग्घातियं देति देंतं वा सातिजति ।१७:17 (६२५) जे भिक्खू अनुग्घातियं उग्घातियं देति देंतं वा सातिजति ।१८-18 (६२६) जे भिक्खू उग्घातियं सोचा नवा संभुंजति संभुंजंतं वा सातिञ्जति।१९19 (६२७) जे भिक्खू उग्धातिय-हेउं सोचा नच्चा संभुंजति संभुजंतं यासातिञ्जति।२०।-20 For Private And Personal Use Only


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