Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ዓረ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निसीहं - ४ / २९९ (२९९) जे भिक्खू अण्णमण्णस्स दीहाई पास-रोमाई कप्पेज या संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिजति ॥१०३/-98 (३००) जे भिक्खू अण्णमण्णस्स कायाओ सेयं वा जल्लं वा पंकं वा पलं वा नीहरेञ्ज वा विसोहेज वा नीहरेंतं वा विसोर्हेतं वा सातिजति । १०४१-100 (३०१) जे भिक्खू अण्णमण्णस्स अच्छिमलं वा कण्णमलं वा दंतमलं वा नहमलं या नीहरेज वा विसोहेल वा नीहरेंतं वा विसोर्हेतं वा सातिजति 1१०५/-99 (१०२) जे भिक्खू गामाजुगामं दूइजमाणे अष्णमण्णस्स सीसदुधारियं करेति करेंतं वा सातिजति । १०६ । - 101 १५४ १०६ (३०३) जेभिक्खूसाणुप्पए उच्चार पासवणभूमिं न पडिलेहेति न पडेलेर्हेतं वा ०।१०७/102 (३०४) जेभिक्खूत ओउच्चार- पासवणभूमी ओन पडिलेहेति न पडिलेहेंतंबा० | १०८/103 (३०५) जेभिक्खूखुड्डागंसि थंडिलंसि उच्चार- पासवणंपरिष्वेतिपरिहवेंतंबा० ११०९।-104 (३०६) जेभिक्खू उच्चार- पासवणं अविहीए परिद्ववेतिपरिद्ववेतं वा सातिजति ।9901-105 (३०७) जे भिक्खू उच्चार- पासवणं परिद्ववेत्ता न पुंछति न पुंछतं चा सातिञ्जति ।१११ 1-106 (३०८) जे भिक्खू उच्चार- पासवणं परिद्ववेत्ता कट्ठेण या कलिंचेण वा अंगुलियाए वा सलागाए चा पुंछति पुंछतं वा सातिजति 1992 - 107 (१०९) जे भिक्खू उच्चार- पासवयं परिद्ववेत्ता नायमति नायमंतं वा सातिचति ।११३।-108 ( ३१०) जे मिक्खू उच्चार- पासवणं परिद्ववेत्ता तत्येव आयमति आयमंतं वा० ।११४१-109 (१११) जेभिक्खू उच्चार पासवणंपरिवेत्ता अतिदूरे आयमति आयमंतंचा ०।११५/-110 (३१२) जे भिक्खू उच्चार पासवणं परिद्ववेत्ता परं तिहं नावापूराणं आयमति आयमंतं वा सातिञ्जति ।११६/- 111 (३१३) जे मिक्खू अपरिहारिए परिहारियं ब्रूया एहि अओ तुमं च अहं च एगओ असनं वा पाणं खइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेत्ता तओ पच्छा पत्तेयं पत्तेयं मोक्खामो वा पाहामो वा जे तं एवं वदति वदतं वा सातिजति तं सेवमाणे आवज मासियं परिहारट्ठाणं उग्धातियं 999/-112 - उत्पो उद्देसो समत्तो पंचमो- उद्देसो (३१४) जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिद्या आलोएज वा पलोएज वा आलोएंतं या पलोएंतं वा सातिज्जति । 91-1 ( ३१५) जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलसि ठाणं वा से वा निसीहियं वा घेएति चेतं वा सातिजति |२| -2 (३१६) जे मिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिया असनं या पाणं वा खाइमं वा साइमं था आहारेति आहारेतं वा सातिञ्जति । ३ । ७ (३१७) जे मिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिचा उच्चारं वा पासवणं वा परिद्ववेति परिद्ववेंतं वा सातिजति |४| -4 (२१८) जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि ठिवा सज्झायं करेति करेंतं वा सातिजति 14 (३ १९) जेभिक्खूसचित्तरुक्खमूलंसिठिच्चासज्झायंउद्दिसतिउद्दिसंतंयासातिजति । ६ -6 (३२०) [जे भिक्खू सचित्तरुक्खमूलंसि विद्या सज्झायं समुद्दिसति समुद्दिसंतं या० 1191-7 For Private And Personal Use Only

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