Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir -- निसी - ५/३१ (३४१) जे भिक्खू सचित्ताई दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि षा वेतदंडाणि या धरेति घरेत या सातिञ्जति।२८1-28 (३४२) जे भिक्खू सचित्ताई दारुदंडाणि वा घेणुदंडाणि वा वेतदंडाणि वा परि जति परिभुजंतं वा सातिजति।२९।-27 (३४३) जे भिक्खू चित्ताई दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि वा वेत्तदंडाणि वा करेति करेंतं वा सातिजति।३०1-28 (३४) जे भिक्खू वित्ताई दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि या वेतदंडाणि वा धरेति धरेतं वा सातिञ्जति।३१।-29 (३४५) जे मिक्खू चित्ताई दारुदंडाणि षा वेणुदंडाणि षा देतदंडाणि वा परि जति परिमुंजंतं या सातिअति।३२30 (३४६) जेभिक्खू विचिताई दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि वा वेतदंडाणि या करेति करेंत वा सातिजति।३३131 (३४४) जे मिक्खू विचित्ताइंदारुदंडाणि वा येणुदंडाणि वा देतदंडाणि वा धोति धरैतं वा सातिजति:३४132 (३४८) जे भिक्खू विचित्ताई दारुदंडाणि वा वेणुदंडाणि वा वेत्तदंडाणि वा परि जति परिभुजंतं या सातिञ्जति।३५।-33 (४९) जे मिक्खू नवग-निवेसंसि गामंसि वा [मगरंसि वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा दोणमुहंसि वा पट्टणसि वा आसमंसि वा निवेसणंसि वा निगमंसि वा संबाहंसि वा रायहार्णिसि षा सण्णिवेसंसि वा अनुप्पविसित्ता असनं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा पडिग्गाहेति पहिगाहेंतं वा सातिञ्जति।३६|34 (३५०) जे भिक्खू नवग-निवेसंसि अयागरंसि वा तंबागरंसि वा तउआगरंसि वा सीसागरंसि वा हिरण्णागरंसि वा सुवण्णागरंसि वा वइरागरंसि वा अनुपविसित्ता असनं वा पाणं वा खाइम वा साइमं या पडिग्गाहेति पडिग्गाहेंतं वासातिञ्जति ।३७१-35 (३५१) जे भिक्खू मुह-थिणियं करेति करेंतं वा सातिजति।३८138 (३५२) जेभिक्खू दंत-वीणियं करेति करेंत वा सातिञ्जति ।३९।-37 (३५३) [जे मिक्खू उट्ट-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति।४०1-38 (३५४) जे भिक्खू नासा-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति !४१139 (३५५) जे भिक्खू कक्ख-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति १२40 (१५६) जे मिक्खू हत्य-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति ।।३/41 (३५७) जे भिक्खू नह-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति।।1-42 (३५८) जे भिक्खूपत्त-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति।४५/-43 (३५१) जेभिक्खू पुफ-वीणियं करेति करेंतं दा सातिजति।४६-44 (३६०) जे भिक्खू फल-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति ।४७/45 (३६१) जे मिक्खू बीय-दीणियं करेति करेंतं वा सातिञ्जति ।।८148 (२६२)जे भिक्खूहरिय-वीणियं करेति करेंतं वा सातिजति] १४९।-47 (३९३)जे भिक्खू मुह-वीणियं वाएति वाएतं वा सातिजति ।५०143 (३६४) जे मिक्खू दंत-वीणियं वाएति वाएंतं वा सातिजति ।५११.49 For Private And Personal Use Only

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