Book Title: Agam 34 Nisiha Chheysutt 01 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १२ निप्सीह - ५/१७७ वा मक्खेज्ज वा अन्मंगेंतं वा मक्खेंत या सातिजति।६०।-60 (१७८) जे मिक्खू अप्पणो अच्छीणि लोखेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण या उल्लोलेन वा उव्वदेज वा उल्लोलेंतं वा उब्बटुंतं वा सातिञ्जति ।६१।-61 (१७९) जे भिक्खू अप्पणो अच्छीणि सीओदग-वियडेण वा उसिणोदग-वियडेण वा उच्छोलेज वा पधोवेज वा उच्छोलेंतं वा पधोवेंतं वा सातिशति ।६।-62 (१८०) जे भिक्खू अप्पणो अच्छीणि फुमेज वा] रएज्जा वा फुर्मेतं वा रएंतं वा०।६३।-63 (१८१) जे भिक्खू अप्पणो दीहाई ममुग-रोमाई कप्पेन वा संठवेज वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिञ्जति।६४-84 (१८२) जे भिक्खू अप्पणो दीहाई पास-रोमाई कप्पेज वा संठयेज्ज वा कप्तं वा संठवेंतं वा सातिक्षति १६५/-65 (१८३) जे भिक्खू अप्पणो अच्छिमलं वा कण्णमलं वा दंतमलं वा नहपलं या नीहरेज या विसोहेजा वानीहरंतं चा विसोहेंतं वा सातिअति।६६।-86 (१८४) जे भिक्खू अपणो कायाओ सेयं वा जलं वा पंकंवा मलं या नीहरेज वा विसोहेल वा नीहरेंतं वा विसोहेंतं वा सातिजति ।६७-87 (१८५)जेभिक्खू गापाणुगासंदूइजमाणे अप्पणो सीसवारियं करेतिकरेंतं वा०।६८/ (१८६) जे भिक्खू सणकप्पासाओ वा उण्णकप्पासाओ वा पोंडकप्पासओ वा अमिलकप्पासओ वा वसीकरणसुत्तयं करेति करेंतं वा सातिञ्जति ।६९1.70 (१८७) जे भिक्खू गिहंसि वा गिहमुहंसि वा गिहदुवारंसि वा गिहपडिदुवारंसि वा गिहेलुयंसि वा गिहंगणंसि वा गिहवचंसि या उच्चारं या पासवणं वा परिट्टवेति परिट्ठवेंतं वा सातिजति।७०-71 (144) जे पिक्खू मडागिहसि वा मडगछारियसि वा मडगथूमियसि वा मडगासयंसि या मडगलेणंसि वा मडगथंडिलंसि या मडगवांसि वा उच्चारं वा पासवणं वा परिट्टवेति परिहवेतं वा सातिजति ।७१1-72 (१८९) जे भिक्खू इंगालदाहंसि वा खारदाहंसि वा गातदाइंसि वा तुसदाहठाणंसि या भुसदाहठाणंसि वा उच्चारं या पासवणं वा परिठ्ठयेति परिहतं वा सातिजति ७२|-73 (१९०) जे भिक्खू सेयायणंसि वा पंकायतणंसि वा पणगायतणसि या उच्चारं वा पासवणं वा परिहवेति परिहवेंतं वा सातिजति ।७३।-76 (१९१) जे भिक्खू नवियासु वा गोलेहणियासु नदियासु वा मट्टियाखाणीसु-परिभुञ्जमाणियासु वा अपरिभुजमाणियासुवा-उच्चारं वा पासवणं वा परवेति परिष्ठतं वासातिझति ।७४|-74 (१९२) जे भिक्खू उयरवचंसि वा नग्गोहवचंसि वा असोत्यवचंसि वा पिलखुवञ्चसि वा उच्चारं वा पासवणं वा परिहवेति परिहवेंतं या सातिजति ७५l-76 (१९३) जे भिक्खू इक्खुवर्णसि वा सालवणंसि वा कुसुंभवर्णसि वा कप्पासवणंसि वा उच्चारं वा पासवणं वा परिहवेति परिहवेंतं वा सातिजति ।७६1-78 (१९४) जे भिक्खू डागवयंसि वा सागवचंसि वा मूलवासि या कोत्युपरिवयंसि वा खारवयंसि वा जीरयवचंसि वा दमणवचंसि वा मरुगहवचंसि वा उच्चार वा पासवणं या परिठ्ठवेति परिद्ववेतं वा सातिजति ७७१-77 For Private And Personal Use Only

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