Book Title: Agam 33 Prakirnaka 10 Maran Samadhi Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir संसारे संसरतो माऊणं अन्नमन्नाणं ॥७॥ नत्थि किर सो. पएसो लोए वालग्गकोडिमित्तोऽवि। संसारे संसरतो जत्थ न जाओ मओ|| वावि ॥८॥चुलसीई किर लोए जोणीणं पमुहस्यसहस्साई इकिमि य इत्तो अणंतखुत्तो सभुप्पनो ॥९॥ उढमहे तिरियम्मि य मयाणि बालभरणाणिऽणंताणिोतो वाणि संतो पंडियमरणं मरीहामि ॥ २४०॥ माया मित्ति पिया मे माया भज्जत्ति पुत्त धूया ओ एयाणिचिंतयंतो पंडियमरणं मरीहामि॥१॥ मथापिइबंधूहि संसारत्थेहिं पूरिओ लोगो।बहुजोणिनिवासीहिं न अते ताणं च सरणं च ॥२॥इक्को जायइ मरइ इक्को अणुहवइ यदुक्यविकागो इक्कोऽणुसरइ जीओ जरमरणच्उगईगुविलं ॥३॥ उव्वेयणयं जम्मणमरणं नरएसु वेयणाओ ओएयाणि संभरंतो पंडियमरणं मरीहामि॥ ४॥ इथं पंडियमरणं छिंदइ जाईसयाणि बहुयाणितं मरणं भरियवं जेण मओ सुम्मओ ( मुक्कओ) होइ ॥५॥कइया णु तं सुभरणं पंडियमरणं जिणेहिं पण्णत्ती सुद्धो उद्धियसलो पाओवगमं मरीहामि | ॥६॥संसारचक्कवाले सव्वेऽविय पुग्गला मए बहुसो।आहारिया य परिणामिया य न य तेसु तित्तोऽहं ॥७॥आहारनिमित्तेणं मच्छा वच्चंतिऽणुत्तरं नरयो सच्चित्ताहारविहिं तेण उमणसाऽवि निच्छामि ॥ ८॥ तणकटेणव अग्गी लवणसमुद्दोव नइसहस्सेहिं । न इमो, जीवो सक्को तिप्पे कामभोगेहिं ॥९॥ लवणयमुहसामाणो दुप्यूरो धणरओ अपरिमिजो। न हु सक्को तिव्येउं जीवो संसारियसुहेहिं| | ॥२५०॥ कप्पतरुसंभवेसु य देवुत्तरकुरुवंसपसूएसुं। परिभोगेण न तितो न य नरविजाहरसुरेस ॥१॥ देविंदचक्कवट्टित्तणाई रजाई उत्तमा भोगा। पत्ता अणंतखुत्तो न यऽहं तित्तिं गओ तेहिं ॥२॥पयखीरुच्छुरसेसु य साऊसु महोदहीसु बहुसोवि।उववन्नो न य तण्हा | ॥श्री मरणसमाधि सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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