Book Title: Agam 33 Prakirnaka 10 Maran Samadhi Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 32
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पावकम्माण। जिणवयणनाणदंसण-चरित्तभावुज्जुओ जग्ग ॥ ६ ॥ दंसणनाणचरित्ते तवें य आराहणां चधा । सा चेव होई | तिविहा उक्कोसा मज्झिम जहण्णा ॥ ७॥ आराहेऊण विऊ उक्कोसाराहणं चउक्खंधी कम्मरको सिन्झिज्जा | | ॥८॥ आराहेऊण विऊ मज्झिमआराहणं चउक्खधं । उक्को सेण य चउरो भवे उ गंतूण सिज्झिना ॥ ९॥ आराहेऊण विऊ जहन्नमाराहणं चउक्खंधी सत्तट्ठ भवग्गहणे परिणामेऊण सिज्झिज्जा ॥ ३२० ॥ धीरेणवि मरियव्वं काउरिसेणवि अवस्स मरियव्वं । तुम्हा अवस्समरणे वरं खु धीरत्तणे मरिडं ॥ १ ॥ एयं पच्चक्खाणं अणुपालेऊण सुविहिओ सम्मं । वेमाणिओ व देवो हविज्ज अहवावि सिज्झिज्जा ॥ २ ॥ एसो सवियारकओ उवक्कमो उत्तमट्टकालम्मिी इत्तो उ पुणो वुच्छं जो उ कमो होइ अविचारे ॥ ३ ॥ साहू कसंही | विजियपरी सहकसायसंताणो । निज्जवए मग्गिज्जा सुयरयणस ( २ )हस्सनिम्माए ॥ ४ ॥ पंचसमिए निगुत्ते अणिसिए रागदांसमयरहिए। कडजोगी कालण्णू नाणचरणदंसणसभिद्दे ॥ ५ ॥ मरणसमाहीकुसले इंगियपत्थियसभाववेत्तारे । ववहार विहि विहिण्णू अब्भुज्जयमरणसारहिणो ॥ ६ ॥ उवएसहे उकारणगुणनिस (ढा)णायकारणविहण्णू। विण्णाणनाणकरणोवयारसुयधारणसमत्थे ॥७॥ एगनगुणे रहिया बुद्धीइ चउव्विहाइ उववेया । छंदण्णू पव्वइया पच्चक्खाणंभि य विहण्णू ॥ ८ ॥ दुहं आयरियाणं दो वेयावच्चकरणनिज्जुत्ता। पाणगवेयावच्चे तवस्सिणो वत्ति दो पत्ता ॥ ९॥ उव्वत्तण परिवत्तण उच्चारुस्सास (व) करणजोगेसुं। दो वायगत्ति णज्जा असुत्तकरणे जहन्नेणं ॥ ३३० ॥ असद्दह वेयणाए पायच्छित्ते पडिक्रमणए य । योगायकहाजोगे पच्चक्खाणे य पू. सागरजी न. संशोधित ॥ श्री परणसमाथि सूत्रं ॥ २१ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57