Book Title: Agam 33 Prakirnaka 10 Maran Samadhi Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सयतणूस भत्तं मुईगाणं ॥ १॥ एगो विमाणवासी जाओ वरवजापंजरसरीरो। बीओ उ नंदणकुल्ले बलुत्ति जक्खो महड्डिओ ॥ २ ॥ हिमचूलसुरुप्पती भद्दगमहिसी य थूलभद्दो यो वेरोवसमे कहणो सुरभावे दंसणे खमणो ॥ ३ ॥ बावीसमाणुपुव्विं तिरिक्खमणुयावि भेसणट्ठाए। विसायणुकंपरक्खण करेज्ज देवा उ उवसग्गं ॥ ४॥ संघयणधिईजुत्तो नवदसपुव्वी सुएण अंगा वा। इंगिणि पाओवगमं पडिवज्जइ एरिसो साहू ॥ ५ ॥ निच्चल निष्पडिकम्मो निक्खिवए जं जहिं जहा अंगी एय पाओवगमं सनिहारि वा अनीहारिं ॥ ६ ॥ पाओवगमं भणियं समविसमे पायवुव्व जह पडिओ। नवरं परम्पओगा कंपिज्ज जहा फलतरुव्व ॥ ७॥ तसपाणबीयर हिए। विच्छिण्णवियारथंडिलविसुद्धे । एगंते निद्दो से उविंति अब्भुज्जयं मरणं ॥ ८॥ पुव्वभवियवेरेणं देवो साहरइ कोऽवि पायाले । मा सो चरिमसरीरो न वेअणं किंचि पाविजा ॥ ९॥ उप्पन्ने उवसग्गे दिव्वे माणुस्सए तिरिक्खे ओ सव्वे पराजिणित्ता पाओवगया पविहरति ॥५३० ॥ जह नाम असी कोसा अन्नो कोसो असीइ खलु अन्नो । इय मे अन्नो जीवो अन्नो देहुत्ति मन्त्रिजा ॥ १ ॥ पुव्वावरदाहिणउत्तरेण वाएहिं आवडतेहि । जह नवि कंपड़ मेरू तह, झाणाओ नवि चलति ॥ २ ॥ पढमम्मि य संघयणे वट्टंते सेलकुड्डुसामाणे । तेसिंपिय. वुच्छेओ चउदसपुवीण वुच्छेए ॥ ३ ॥ पुढविदग अगणिमारूयतरूभाई तसेसु कोई साहरई । वोसठ्ठचत्तदेहो अहाअं तं परि (डि ) क्खिज्जा ॥ ४ ॥ देवो नेहेण गए देवागमणं च इंदगमणं वा। जहियं इड्डी कंता सव्वसुहा हुंति सुहभावा ॥ ५ ॥ उवसग्गे तिविहेविय अणुकूले चेव तह य पडिकूले। सम्मं अहियासंतो कम्मक्खयकारओ होइ ॥ ६ ॥ एवं पाओवगमं इंगिणि पडिकम्म वण्णियं ॥ श्री मरणसमाथि सूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ३४ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only

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