Book Title: Agam 33 Prakirnaka 10 Maran Samadhi Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | अ उज्जेणी ॥ ९॥ अरईय जाइसूकरो (भूओ) भव्वो अ दुलहबोहीओ। कोसंबीए कहिओ इत्थीए थूलभद्दरिसी ॥ ४९० ॥ कुल्लइरम्मि | अ दत्तो चरियाई परीस हे समक्खाओ। सिट्टिसुयतिगिच्छणणं अंगुलदीवो य वासम्मि॥१॥ गयपुर कुरूदत्तसुओ निसीहिया अडविदेस पडिमाए । गाविकुविएण दड्ढो गयसुकुमालो जहा भगवं ॥ २ ॥ तो (दो) अणगारा धिज्जाइयाइ कोसंवि सोमदत्ताई। पाओवगया णदिणेसिज्जाए सागरे छूढा ॥ ३ ॥ महुराइ महरखमओ अक्कोसपरीस हे उ सविसेसो । बीओ रायगिहम्मि उ अज्जुणमालारदिट्टंतो ॥ ४ ॥ कुंभारकडे नगरे खंदगसीसाण जंतपीलणया । एवंविहे कहिजड़ जह सहियं तस्स सीसेहिं ॥ ५ ॥ तह झाणनाणवु (जु) तं गीए संठि( पट्ठि) यस्स समुयाणं। तत्तो अलाभगंमि उ जह कोहं निज्जिणे कण्हो ॥ ६ ॥ किसिपारासरढंढो बीयं तु अलाभगे उदाहरणं । कण्हबलभद्दमन्नं चइऊण खमन्निओ सिद्धो ॥ ७ ॥ महरा जियसत्तुसुओ अणगारो कालवेसिओ रोगे। मोग्गल्लसेलसिहरे खड़ओ किल सुरसियालेणं | ॥८ ॥ सावत्थी जियसत्तूतणओ निक्खमण पडिम तणफासे । वीरिये (वेरज्ज) पविय विकिंचण कुसलेसण कड्ढणा सहणं ॥ ९॥ चंपा सुगंदगं चिय साहुदुगुंछाइ जल्लख उरंगे। कोसंबि जम्म निक्खमण वेयणं साहुपडिमाए ॥ ५०० ॥ महराइ इंददत्तोऽसक्कारा पायछेयणे सड्डो । पन्नाइ अज्जकालग सागरखमणो य दिट्ठतो ॥ १ ॥ नाणे असगडताओ खंभगनिधी अणहियासणे भद्दो। दंसणपरीसहम्मि उ आसाढभूई उ आयरिया ॥ २ ॥ चरियाए मरणम्मि उ समुइण्णपरीसहो मुणी एवं। भाविज्ज निउणजिणमयउवएससुईइ अप्पाणं ॥ ३ ॥ उम्मग्गसंपयायं मणहत्थिं विसयसमरियमणंती नाणंकुसेण धीरो धरेइ दित्तंपिव गइंदं ॥ ४ ॥ एए उ महासूरा महिड्डिए को व भाणिउं । पू. सागरजी म. संशोधित ॥ श्री मरणसमाथि सूत्रं ॥ ३२ For Private And Personal Use Only

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