Book Title: Agam 33 Prakirnaka 10 Maran Samadhi Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | सुत्ते । तित्थयर गणहरे हि य साहूहि य सेवियमुयारं ॥ ७॥ सव्वे सव्वद्धाए सव्वन्नू सव्वकम्मभूमीसु । सव्वगुरू सव्वहिया सव्वे मेरुसु || | अहिसित्ता ॥ ८ ॥ सव्वाहिवि लद्धीहिं सव्वेऽपि परीसहे पराइत्ता । सव्वेऽविय तित्थयरा पाओवगया 3 सिद्धिगया ॥ ९॥ अवसेसा अणगारा तीयपडुप्पन्नणागया सव्वे । केई पाओवगया पच्चक्खाणिंगिणिं केई ॥ ५४० ॥ सव्वावि अ अज्जाओ सव्वेऽवि य पढमसंघयणवज्जा। सव्वे य देसविरया पच्चक्खाणेण य मरंति ॥ १॥ सव्वसुहष्पभवाओ जीवियसाराओ सव्वजणिगाओ। आहाराओ रयणं न विज्जए उत्तमं लोए ॥ २ ॥ विग्गहगए य सिद्धे भुतुं लोगम्मि जे मिया जीवा । सव्वे सव्वावत्थं आहारे हुंति आउत्ता ॥ ३ ॥ तं तारिसगं रयणं सारं जं सव्वलोयरयणाणी सव्वं परिच्चइत्ता पाओवगया परि(वि) हरंति ॥ ४॥ एवं पाओवगमं निष्पडिकम्मं जिणेहिं पन्नतं । तं सोऊणं खमओ ववसायपरक्कमं कुणइ ॥ ५ ॥ धीरपुरिसपण्णत्ते सप्पुरिसनिसेविए पर मरम्मे । घण्णा सिलांयलगया निरावयक्खा शिवजंति ॥ ६ ॥ सुव्वंति य अणगारा घोरासु भयाणियासु अडवीसुं । गिरिकुहरकंदरासु य विजणेसु य रुक्खहे द्वेसुं ॥ ७ ॥ धीधणियबद्धकच्छा भीया जरमरणजम्मणसयाणं। सेलसिलासयणत्था साहंति उ उत्तमट्ठाई ॥ ८ ॥ दीवोदहिरण्णेसु य खयरावहियासु पुणरविय तासु । कमलसिरी महिलादिसु भत्तपरिन्ना कथा श्रीसु ॥ ९॥ जइ ताव सावयाकुलगिरिकंदर विसमकडगदुग्गासुं। साहिति उत्तम धिइधणियसहायगा धीरा ॥ ५५० ॥ किं पुण अणगारसहायगेण अण्णुन्नसंगहबलेणं । परलोए य न सक्का साहेउं अप्पणो अट्ठ? ॥१॥ समुइन्नेसु य सुविहिय ! उवसग्गमहब्भासु विविहेसु । हियएण चिंतणिज्जं रयणनिही एस उवसग्गो ॥ २ ॥ किं जायं जइ मरणं | पू. सागरजी म. संशोधित ॥ श्री मरणसमाथि सूत्रं ॥ ३५ For Private And Personal Use Only

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