Book Title: Agam 33 Prakirnaka 10 Maran Samadhi Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||साहति य अपणो अटुं॥ २७०॥ जइ ताव सावयाकुलगिरिकंदरविसमदुग्गमगेसु धिइधणियबद्धकच्छ। साहति य उत्तमं अटुं ॥१॥|| किं पुण अणगारसहायगेण वेगसंगहबलेणी परलोएण ण सक्का संसारमहोदहिं तरिउं? ॥ २॥ जिणवयणमप्पमेयं महुरं कन्नामयं सुणंताणी सक्का हु साहुमझा साहेउ अपणो अटुं ॥३॥धीरपुरिसपण्णत्तं सप्युरिसनिसेवियं परमधोरं धन्ना सिलातलगया साहिती अपणो अटुं ॥४॥बाहेइ इंदियाई पुव्वमकारियपइट(ण्ण)चारिस्साअकयपरिकम कीवं मरणे सुअसंपउत्तंमि ॥५॥पुव्वमकारियजोगो समाहिकामोऽविमरणकालम्मिान भवइ परीसहसहो विसयसुहपराइओ जीवो ॥६॥पुब्विं कारियजोगो समाहिकामो यमरणकालमा होइ 3 परीसहसहो विसयसुहनिवारिओ जीवो ॥७॥ पुव्विं कारियजोगो अनियाणो ईहिऊण सुहभावो । ताहे मलियकसाओ सज्जो भरणं पडिच्छिज्जा॥८॥पावाणं पावाणं कमाणं अपणो सकभ्माणं । सक्का पलाइउ जे तवेण सम्भं उत्तेणं ॥९॥इथं पंडियमरणं पडिवज्जइ सुपुरिसो असंभंतो। खियं सो मरणाणं काहिइ अंतं अणंताणं ॥ २८०॥ कि तं पंडियमरण? काणि व आलंबणाणि भणियामि?एयाइं नाऊणं किं आयरिया पसंसंति? ॥१॥अणसणपाउवगमणं आलंवण झाण भावणाओ योएयाई नाऊणं पंडियमरणं पसंसति ॥२॥ इंदियसुहसाउलओ घोरपरीसहपाइथपरझो। अकयपरिकम्प कीवो मुज्झइ आराहणाकाले॥ ३॥ लजाइ गारवेणं बहुस्सुयसएण वावि दुचरियो जे न कहिंति गुरूणं न हु ते आराहगा हुंति ॥ ४॥ सुज्जइ दुक्करकारी जाणइ मागंति पावए कित्ति विणिगृहितो निंदं तम्हा आलोयणा सेया॥५॥अग्गिम्मिय उदयम्मि य पाणेसु य पाणचीयहरिएसु। होइ मओ संथारो पडिवजइ जो | १८ पू. सागरजी म. संशोधित ॥श्री मरणसमाधि सूत्र। For Private And Personal Use Only

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