________________ 265 266 274 276 279 280 282 282 284 285 281 भवनपति देवों को अवगाहना पंच स्थावरों की शरीरावगाहना द्वीन्द्रिय जीवों की अवगाहना श्रीन्द्रिय जीवों की शरीरावमाहना चतुरिन्द्रिय जीवों की शरीरावगाहना पंचेन्द्रियतियेंच जीवों की शरीरावगाहना मनुष्य अवगाहनानिरूपण वाणव्यंतर और ज्योतिष्क देवों की अवगाहना वैमानिक देवों को अवगाहना उत्सेधांगुल के भेद और भेदों का अल्पबहत्व प्रमाणांगुलनिरूपण प्रमाणांगुल का प्रयोजन प्रमाणांगुल के भेद, अल्पबहुत्व कालप्रमाणप्ररूपण समयनिरूपण समयसमूहनिष्पत्र कालविभाग औपमिककालप्रमाणनिरूपण पल्योपम-सागरोपमप्ररूपण प्रद्धापल्योपम-सागरोपमनिरूपण मारकों की स्थिति भवनपति देवों की स्थिति पंच स्थावरों की स्थिति विकलेन्द्रियों की स्थिति पंचेन्द्रियतिर्यंचों की स्थिति जलचरपंचेन्द्रियतियंवों की स्थिति स्थलचर पंचेन्द्रिय तियंचों की स्थिति खेवर पंचेन्द्रिय तियंत्रों की स्थिति संग्रहणी गाथाएं मनुष्यों की स्थिति व्यंतर देवों की स्थिति ज्योतिष्क देवों की स्थिति वैमानिक देवों की स्थिति सौधर्म प्रादि अच्युतपर्यन्त कल्पों के देवों की स्थिति अवेयक और अनुत्तर देवों की स्थिति क्षेत्र पल्योपम का निरूपण 291 291 298 301 0 0 Mr r r m mm or r 0 0 0 0 0 305 307 307 308 312 or mmm SNY or or 318 322 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org