Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Dasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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दसामो आरंभ-समारंभाओ अपडिविरए जावज्जीवाए', सव्वाओ करण-कारावणाओ' अपडिविरए जावज्जीवाए', सव्वाओ १यण-पयावणाओ अपडिविरए जावज्जीवाए", सव्वाओ कुट्टण-पिट्टण-तज्जण-तालण-वह-बंध परिकिलेसाओ अपडिविरए जावज्जीवाए, जेयावण्णे तहप्पगारा सावज्जा अबोधिआ कम्मंता परपाण'परितावणकडा कज्जति (ततो वि अ णं अपडिविरए जावज्जीवाए',) से जहानामए केइ पुरिसे कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फाव-कुलत्थ-'आलिसंदगसईणा-पलिमथ एमादिएहि अयते कूरे 'मिच्छादंड पउंजइ", एवामेव तहप्पगारे पुरिसज्जाते तित्तिर-वट्टा-लावय-कपोत-कपिंजल-मिय-महिस-वराह-गाह-गोधकुम्भ-सिरीसवा दिएहि अयते कूरे मिच्छादंडं पउंजइ"। जावि य से बाहिरिया परिसा भवति, तं जहा-दासेति वा पेसेति वा भतएति५ वा भाइल्लेति वा कम्मारएति वा भोगपुरिसेति वा, तेसिपि य णं अण्णयरगंसि अहालघुयंसि" अवराधंसि सयमेव गरुयं दंडं वत्तेति, तं जहा---इमं दंडेह, इमं मुंडेह, इमं वज्झेह इमं तालेह, इमं अंदुबंधणं" करेह, इमं नियलबंधणं करेह, इम हडिबंधणं करेह, इमं चारगबंधणं करेह, इमं नियलजुयल-संकोडियमोडितं करेह, इमं हत्थच्छिन्नं करेह, इमं पायच्छिन्नं करेह, इमं कन्नच्छिन्नं करेह, इमं नक्कच्छिन्नं करेह, इमं ओटुच्छिन्नं करेह, इमं सीसच्छिन्नं करेह, इमं मुखच्छिन्नं करेह, 'इमं मज्झच्छिन्नं करेह, इमं वेयच्छिन्नं करेह, इमं हियउपाडियं करेह, एवं नयण-दसण-वसण"-जिब्भुप्पाडियं करेह, इमं ओलंबितं करेह, 'इमं उल्लंबितं
१. x (अ, क ख)।
१०. मिच्छादसणं युंजति (ता)। २. करावणओ (ख)।
११. वग (ख)। ३,४. x (अ, क, ख)।
१२. सिरीसिवेसु (ता)। ५. पिट्टणातो (अ, क); पिट्टणतो (ता)। १३. पतुजति (ता)। ६. बंध वध (अ, क); वध बंघण (ख)। १४. 'ता' प्रतौ अत: 'भोगपुरिसेति' पर्यन्तं सर्वेषु ७. कम्मंता कज्जति (अ, क, ख)।
पदेषु 'इति' पदं नैव विद्यते । ५. कोष्ठकान्तर्वर्ती पाठश्चूणों नास्ति व्याख्यातः। १५. भत्तएति (अ, क, ख): भत्तए (ता)।
वृत्तावस्ति व्याख्यातः, आदर्शषु च दश्यते। १६. भाइल्लए (ता)। द्रष्टव्यं अंगसुत्ताणि भाग १, पृष्ठ ३६०, १७. कम्मकारएति (क); कम्माकरए (ता)। पादटिप्पण १६ ।
१८. लधुसयंसि (अ, ख)। ९. आलिसंदजवएवमादीहिं (अ, क, ख); १६. अवरद्धसि (ख)।
आलिसिंदसईणा पलिमित्था एवमातीहि (ता); २०. पयुंजति (ता)। आलिसिंदगसेतीण० (चू); अतोने चूर्णिकृता २१. इंदुबंधणं (अ); अदुबंधणं (क); दुबंधणं एतदुल्लिखितम्--'एते लुणंतो वा मलतो वा (ख) अंदुयबंधणं (सू० २।२।५८) । पीसंतो वा मुसलेणं वा उक्खले खंडितो रंधेतो २२. x (अ, क, ख, पा) । वा ण तेसु दयं करेति'।
२३. वयण (अ, क, ख)।
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