Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Dasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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पज्जोसवणाकप्पो
यं सह पट्ट-भत्तिसत - चित्तताणं' ईहामिय-उसह- तुरग-नर-मगर- विहग-वालगकिन्नर - रुरु- सरभ- चमर-कुंजर - वणलय- पउमलयभत्तिचित्तं अभिंतरियं जवणियं अंछावे, अंछावेत्ता नाणामणिरयणभत्तिचित्तं अत्थरय- मिउमसूरगोत्थयं सेयवत्थपच्चत्यं सुमउयं अंगसुहफरिसगं विसिद्ध तिसलाए खत्तियाणीए भद्दासणं "रावेइ, रयावेत्ता" कोडुं बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाप्पिया ! अट्ठगमहानिमित्तसुत्तत्थधारए ' विविहसत्यकुसले सुविणलक्खणपाढए सद्दाह' |
४३. तए णं ते कोडुंबियपुरिसा सिद्धत्थेणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्ठा जाव हरिसवसविसप्पमाणहिया करयल ' 'परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं सामि !त्ति आणाए विणणं वयणं पडिसुर्णेति, पडिसणेत्ता सिद्धत्थस्स खत्तियस्स अंतियाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता कुंडग्गाम नगरं मज्झमज्भेणं जेणेव 'सुमिणलक्खणपाढगाणं गिहाई" तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सुविणलक्खपाढ' सद्दाविति ॥
सिद्धस्स सुमिणफल- पुच्छा-पदं
४४. तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा सिद्धत्थस्स खत्तियस्स कोडुंबियपुरिसेहि सद्दाविया" समाणा तु चित्तमाणंदिया जाव हरिसवस - विसप्यमाणहियया व्हाया कयबलिकम्मा कय- कोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगललाई वत्थाई पवराई परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरी सिद्धत्थय-हरियालिय-कयमंगलमुद्धाणा सहि-सएहि गेहेहितो निग्गच्छंति, निग्ग च्छित्ता 'खत्तियकुंङग्गामं नगरं" मज्भमज्झेणं जेणेव सिद्धत्थस्स रण्णो भवणवरवर्डिसग-पडिदुवारे" तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता भवणवरवडिसग पडिदुवारे एगयओ 'मिलति मिलित्ता" जेणेव बाहिरिया उवद्वाणसाला जेणेव सिद्धत्थे खत्तिए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल " *परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु सिद्धत्थं खत्तियं ari विएणं वद्धावेंति ॥
१. चित्तमाणं १।१।२५) ।
२. पच्चुत्थयं ( ता ) 1
३. रएइ २ ता (ता) |
४. सुतधारए ( क ) । पारए (ता, पु); पाढए १२ x ( ता ) ।
पाए (अपा) ।
५. सहावे २ ता एतमाणत्तियं खिप्यामेव पच्चहि (ता) |
६. सं० पा०—करयल जाव पडिसुर्णेति । ७. कुंडपुरं (ता ) !
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(ता, पु); चित्तठाणं (ना०
८. सुमिणपाढगाणं घराई (ता) | ६. सुविणपाढए (ता) |
१०. सुविणपाढगा (ता) 1 ११. सद्दावित्ता (ता) :
५११
१३. खत्तियकुंडग्गामस्स नगरस्स (ता) | १४. दुवारे (ता) ।
१५. मिलायंति एग २ त्ता (ता) ।
१६. सं० पा०- करयल जाव० कट्टु |
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