Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Dasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 90
________________ ५१० पज्जोसवणाकप्पो उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणपविसइ, अणप्पविसित्ता समत-'जाल-कलावाभिरामे" विचित्तमणिरयणकोट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसि नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहनिसन्ने पुप्फोदएहि य गंधोदएहि य उण्होदएहि य सुहोदएहि य सुद्धोदएहि य कल्लाणकरण -पवरमज्जणविहीए मज्जिए, तत्थ कोउयसएहि बहुविहेहि कल्लाणगपवरमज्जणावसाणे पम्हल-सुकुमाल-गंधकासातियलूहियंगे अहयसुमहग्घदस रयणसुसंवुए' सरससुरहि-गोसीस-चंदणाणुलित्तगत्ते सुइमाला-वण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पिय-हारद्धहार-तिसरय-पालब-पलबमाणकडिसत्तसुकयसोहे पिणद्धगेविज्जे अंग लिज्जग-ललियकयाभरणे वरकडग'-तुडिय-थंभियभए अहियरूवसस्सिरीए कुंडल-उज्जोइयाणणे' मउडदित्तसिरए हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे 'म दिया-पिंगलंगलीए पालब-पलबमाणस्क्रय-पड उत्तरिज्जे'' नाणामणि कणगरयण - विमलमहरिह - निउणोविय-मिसिमिसितविरइय-सु सिलिट्ठविसिट्ठल?'आविद्धवीरवलए, किं बहुगा ? कप्परुक्खए विव" अलंकियविभूसिए नरिंदे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं 'सेयवरचामराहिं उद्धव्वमाणीहिं" मंगलजयसद्दकयालोए अणेगगणनायग-दंडनायग-राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय"-मंति-महामंति-गणग-दोवारिय-अमच्च-चेड-पीढमद्द-नगर-निगम - सेटि-सेणावइ-सत्थवाह'. दूय-संधिपालसद्धि" संपरिवुडे धवलमहामेहनिग्गए इव महगण-दिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे ससिव्व पियदंसणे नरवई" मज्जणघराओ पडिनिक्खमइ, पडि निक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणंसि"पुरत्थाभिम हे 'निसीयइ, निसीइत्ता" अप्पणो उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए 'अटू भासणाई सेयवत्थ-पच्चत्थयाईसिद्धत्थय-कय-मंगलोवयाराई १८ रयावेइ, रया वेत्ता अप्पणो अदूरसामंते नाणामणिरयणमंडियं अहियपेच्छणिज्ज" महग्घवर पट्टणु१. जालाकुलाभिरामे (क, ख, ग, घ); जाल- १३. संधिपाल (ता)। मालाभिरामे (ता)। १४. नरवइ नरिंदे नरवसहे नरवसहकप्पे नरसीहे २. कल्लाणमंगल्लकरण (घ)। अन्भहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणे (क,ग); ३. सुसंवुडे (क, ख, घ)। नरवसहे नरसीहे अब्भहियं रायतेयलच्छी ४. नाणामणिकणगरयणवरकडग (क, घ, ता)। दिप्पमाणे (ख); नरवई नरिदे नरवसहे ५. "वियायणे (क)। नरसीहे अब्भहिए रायतेयलच्छीए दिप्पमाणे ६. पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जे मुद्दियापिंगलंगुलिए उज्जलनेवत्थरइतचिल्लक- १५. जेणेव सोहासणे तेणेव (ता) । विरायमाणे तेएण दिवाकरे व्व दित्तो (ता)। १६. सीहासणवरगते (ता)। ७. लट्ठसंठितपसत्थ (ता)। १७. सन्निसीयति २ ता (ता)। ८. चेव (ता, पु)। १८. सत्तत्थ पवत्तमाणाइ सेतवत्थपच्चत्थुताई ६. सेयवरचामरवीपणे (ता)। सिद्धत्थककयमंगलोवयाराई उत्तरावकमणाई १०. कोडुबियइब्भसेट्टि (चू) । अट्ठभद्दासणाई (ता)। ११. x (चू)। १६. अणेय (ता)। १२. X (ता)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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