Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Dasao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 51
________________ ४७१ सकंकडवडेंसगाणं सचावस रपहरणावरण भरिय जुद्धसज्जाणं अट्ठसयं रहाणं पुरओ अहाणुपुवीए संपट्ठियं । तयानंतरं च णं असि सत्ति-कुंत तोमर-मूल-लउल- भिडिमाल- धणुपाणिसज्ज पायत्ताणीयं पुरओ अहाणुपुब्वीए संपट्ठियं ॥ दसमा दसा १५. तए णं से सेणिए राया हारोत्थय-सुकय- रइयवच्छे कुंडलउज्जो वियाणणे मउदित्तसिरए नरसीहे णरवई गरिदे णरवसहे मणुयरायवसभकप्पे अब्भहियं रायतेयलच्छी दिप्पमाणे धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढ सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं उद्ध्रुव्वमाणीहि उद्धव्व माणोहि वेसमणे विव णरवई अमरवइसभाए इड्ढीए पहियकित्ती हय-गय-रह-पवरजोहक लियाए चाउरंगिणीए सेणाए समणुगम्ममाणमग्गे जेणव गुणसिलए चेइए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । १६. तए णं तस्स सेणियस्स रष्णो भिभिसारस्स पुरओ महं आसा आसघरा उभओ पासि जागा नागधरा पिट्ठओ रहसंगेल्लि || १७. तए णं से सेणिए राया भिभिसारे अब्भुग्गयभिंगारे पग्गहियता लियंटे ऊसवियसेयच्छत्ते पवीइयवालवीयणीए सव्विड्ढीए सव्वजुतीए सव्वबलेणं सव्वसमुदपणं सव्वादरेण सव्वविभूईए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सव्वपुप्फगंध मल्लालंकारेण सव्वतुडिय-सह-सण्णिणाएणं मह्या इड्ढीए मह्या जुईए महया बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडियजमगसमगप्प । इएण संख- पणव- पडह भरि झल्लरि खरमु हि-हुडुक्कमुरय-मुइंग- दुदुहिणिग्घोसणा इयरवेणं रायगिहस्स णयरस्स मज्झमज्झेणं निगच्छइ । १८. तए णं तस्स सेणियस्स रण्णो रायगिहस्स नगरस्स मज्भमज्भेणं निग्गच्छमाणस्स बहवे अथत्थिया कामत्थिया भोगत्थिया लाभत्थिया किव्विसिया कारोडिया कारवाहिया संखिया चक्किया नंगलिया मुहमंगलिया वद्धमाणा पूसमाणया डियगणा ताहि इट्ठाहि कंताहि पियाहि मणुष्णाहि मणामाहिं मणाभिरामहिं हिययगम णिज्जाहि वग्गूहिं जयविजयमंगलसएहि अणवरयं अभिनंदता य अभित्ता य एवं वयासी-जय-जय गंदा ! जय-जय भद्दा ! भद्दं ते, अजियं जिणाहि, जियं पालयाहि, जियमज्भे वसाहि। इंदो इव देवाणं, चमरो इव असुराणं धरणो इव नागाणं, चंदो इव ताराणं, भरहो इव मणुयाणं, बहूइं वासाइं बहूई वाससयाई बहूई वाससहस्साइं बहूई वाससयस हस्साई अणहसमग्गो हट्टतुट्टो परमाउं पालयाहि इट्ठजणसंपरिवुडो रायगिहस्स णयरस्स अण्णेसि च बहूणं गामागर-णयरखेड-कब्बड- दोणमुह-मडंब पट्टण - आसम - निगम-संवाह-सण्णिवेसाणं आहेवच्चं पोरे - वच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं आणा - ईसर सेगावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहय-नट्ट-गीय वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घण-मुइंगपडुप्पवाइयरवेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहराहि त्ति कट्टु जय-जय सद्दं उजति ॥ १६. तए णं से सेणिए राया भिभिसारे नयणमालासहस्सेहिं पेच्छिज्जमाणे- पेच्छ्रिमाणे, हिययमालासहस्सेहिं अभिणं दिज्जमाणे- अभिणं दिज्जमाणे, मणो रहमाला सहस्से हि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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