Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Nishihajjhayanam Terapanth Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva BharatiPage 45
________________ अट्ठमो उद्देसो एगो एगित्थीए-पदं १. जे भिक्ख आगंतारेस वा' *आरामागारेसु वा गाहावइकूलेस वा परियावसहेस वा एगो एगित्थीए' सद्धि विहारं वा करेइ, सज्झायं वा करेइ, असणं वा पाणं वा स्खाइम वा साइमं वा आहारेति, उच्चारं वा पासवणं वा परिवेइ, अण्णयरं वा अणारियं णिठ्ठरं असमणपाओग्गं कहं कहेति, कहेंत वा सातिज्जति ॥ २. जे भिक्खू 'उज्जागंसि वा", उज्जाणगिर्हसि का, ‘उज्जाणसालंसि वाणिज्जाणसि वा" णिज्जाणगिहंसि वा ‘णिज्जाणसालंसि वा एगो एगित्थीए सद्धि विहारं वा करेइ, सज्झायं वा करेइ, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेति, उच्चारं वा पासवणं वा परिढुवेइ, अण्णयरं वा अणारियं गिट्ठरं असमणपाओग्गं कहं कहेति°, कहेंतं वा सातिज्जति ।।। ३. जे भिक्ख अटुंसि वा अट्टालयंसि वा 'पागारंसि वा चरियंसि वा दारंसि वा गोपुरंसि वा एगो एगित्थीए सद्धि विहार वा करेइ, सज्झायं वा करेइ, असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा आहारेति, उच्चारं वा पासवणं वा परिवेति, अण्णयरं वा अणारियं णिठ्ठरं असमणपाओग्गं कहं कहेति', कहेंतं वा सातिज्जति ।। ४. जे भिक्खू 'दगमग्गंसि वा" दगपहंसि वा दगतीरंसि वा दगठाणंसि वा एगो १. सं० पा०-आगंतारेसु वा जाब परियावसहेसु। १०. सं० पा०–सद्धि जाव कहेंतं । २. इत्थीए (अ, ख)। ११. चरियंसि वा (अ); चरियसि वा पागारसि ३. अण्णमण्णयरं (अ)। __वा (ख) । ४. अस्सवण(अ); अस्समण (ख, ग)। १२. सं० पा०-सद्धि जाव कहेंतं । ५. x (अ)। १३. दगंसि वा दगमगंसि वा (ग); चूणों 'दग६. x (ख, चू)। पहंसि वा दगमगंसि वा दगतीरंसि वा' ७. x (अ, क, ख, ग)। एतानि त्रीण्येव पदानि निदिष्टक्रमेण व्याख्या८. ४ (चू)। तानि दृश्यन्ते । ६. एकाए इत्थीए (अ)। ७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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