Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Nishihajjhayanam Terapanth Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva BharatiPage 74
________________ ७४८ उवहिवहावण-पर्व ४१. जे भिक्खू अण्णउत्थिएण वा गारत्थिएण वा उवहिं वहावेति वहावेंतं वा सातिज्जति ॥ ४२. जे भिक्खू तण्णीसाए असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइमं वा देति, देतं वा सातिज्जति ॥ निसीहज्झयणं महाणई-प ४३. जे भिक्खू 'इमाओ पंच" महण्णवाओ महाणईओ उद्दिट्ठाओ गणियाओ वंजियाओ अंतोमासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्खुत्तो वा उत्तरति वा संतरति वा, उत्तरंतं वा संतरंतं वा सातिज्जति, तं जहा--'गंगा जउणा सरऊ एरावती मही"तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारद्वाणं उग्घातियं ॥ १. पंचिमाओ ( अ, क, ग ) ; पंच इमाओ ( ख ) | २. x (क, ग ) । Jain Education International ३. गंगं जडणं सरउं एरावति महि] ( अ, क, ग ) | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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