Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Nishihajjhayanam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 77
________________ तेरसमो उद्देसो सातिज्जति ॥ २०. जे भिक्ख अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा परिणापसिणं वागरेइ, वागतं वा सातिज्जति ॥ २१. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा 'तीतं निमित्तं" वागरेइ, वागरेंत वा सातिज्जति ॥ २२. जे भिक्ख अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा लक्खणं वागरेइ, वागरेंतं वा सातिज्जति ॥ ७५१ २३. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा वंजणं वागरेइ, वागरेंत वा सातिज्ञ्जति ॥ २४. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा सुमिणं वागरेइ, वागरेंतं वा सातिज्जति ॥ २५. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा विज्जं पतंजति, पजंत वा सातिज्जति ॥ २६. ""जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा मंतं परंजति, पउंजंतं वा सातिज्जति ॥ २७. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा जोगं पउंजति, पउंजंतं वा सातिज्जति ॥ २८. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा नट्ठाणं मूढाणं बिप्परिया सियाणं मग्गं वा पवेदेति, संधिवा पवेदेति, मग्गाओ' वा संधि पवेदेति, संधीओ वा मग्गं पवेदेति, पवेदेतं वा सातिज्जति ॥ २६. जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा धाउं पवेदेति, पवेदेतं वा सातिज्जति ॥ ३० जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा णिहि पवेदेति, पवेदेतं वा सातिज्जति ॥ १. चूणौ त्रिकालनिमित्तस्य व्याख्यानं लभ्यतेअतीतकाले वट्टमाणे वा इमो ते लाभो लद्धो, अणागते वा इमं भविस्सति । कस्मिञ्चिद् आदर्श प्रस्तुतसूत्रानन्तरं अन्यदपि सूत्रद्वयं लभ्यते - जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण या पडुप्पण्णं निमित्तं । जे भिक्खू अण्णउत्थियाण वा गारत्थियाण वा मागमिस्सं Jain Education International निमित्तं । २. आदर्शषु एतत्सूत्रं नैव लभ्यते । एतच्च भाष्यनृण्यराधारेण स्वीकृतम् । ३. सिमिणं (अ)। ४. सं० पा० ५. x ( अ ); For Private & Personal Use Only एवं मंत जोगं । मग्माण (क, ग ) ; मग्गेण ( ख ) । www.jainelibrary.org

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