Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Nishihajjhayanam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 103
________________ सोलसमो उद्देसो अणुणवत्ता धारयमाणो गच्छति, गच्छंतं वा सातिज्ञ्जति ॥ अतिरित्तवहि-पदं ४०. जे भिक्ख पमाणातिरिक्तं वा गणणातिरिक्तं वा उवहिं धरेति, धरेंतं वा सातिज्जति ॥ उच्चार- पासवण -पदं ४१. जे भिक्खू अनंतरहियाए पुढवीए उच्चार- पासवणं परिट्ठवेति परिहवेंतं" वा सातिज्जति ॥ ७७७ ४२. "जे भिक्खू ससिणिद्धाए पुढवीए उच्चार- पासवणं परिट्ठवेति परितं वा सातिज्जति ॥ ४३. जे भिक्खू ससरवखाए पुढवीए उच्चार पासवणं परिवेति, परिवेतं वा सातिज्जति ।। ४४. जे भिक्खू मट्टियाकडाए पुढवीए उच्चार- पासवणं परिवेति, परिवेतं वा सातिज्जति ॥ ४५. जे भिक्खू चित्तमंताएं पुढवीए उच्चार पासवणं परिट्ठवेति परिट्ठतं वा सातिज्जति ॥ ४६. जे भिक्खु चित्तमंताए सिलाए उच्चार पासवगं परिद्ववेति, परिवेतं वा सातिज्जति ॥ ४७. जे भिक्खू चित्तमंताए लेलूए उच्चार पासवणं परिद्ववेति परिद्वतं वा सातिज्जति ।। ४८. जे भिक्खू कोलावासंसि वा दारुए जीवपइट्टिए सअंडे सपाणे सबीए सहरिए सओस्से सउत्तिग-पग दग-मट्टिय-मक्कडा - संताणए उच्चार पासवणं परिद्ववेति, परिद्ववेंतं वा सातिज्जति ॥ ४६. जे भिक्खू थूणंसि वा गिहेलुयंसि वा उसुयालंसि वा कामजलंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतरिक्खजायंसि दुब्बद्धे दुण्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले उच्चारपासवणं परिवेति परिद्ववेतं वा सातिज्जति ॥ ५०. जे भिक्खू कुलियंसि वा भित्तिसि वा सिलसि वा लेलुंसि वा अण्णयरंसि वा तहप्पगारंसि अंतरिक्खजायंसि दुब्बद्धे दुष्णिक्खित्ते अणिकंपे चलाचले उच्चारपासवणं परिवेति परिद्ववेंतं वा सातिज्जति ॥ १. परिद्वावेति परिद्वावेंतं ( अ, क, ग ) । २. सं० पा० - जे ससिणिद्वाइयंसि वा कुलियंसि वा जाव लेलुंसि वा उच्चारपासवणं परिद्वावेति Jain Education International परिट्ठावंत वा सातिज्जति जे खंधंसि वा जाव अंतरिक्खजायंसि उच्चारपासवणं । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138