Book Title: Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 206
________________ असित्ता-ठिति ६१६ झूसित्ता (शोपवित्वा) ११८ झूसिय (जुष्ट) ज ३।२२४ झूसेत्ता (शोषयित्ता) उ ३.८३,५१४३ झोसेत्ता (शोपयित्वा) उ २११२३।१० ठिइ (स्थिति) प ११११४:४१५:५१५,८४,११५, १४८,२१४,२३।१६३ ज २१५६,७१,१५६; ७।१६८।२,१८७ उ १४१,४३,२११२,२२; ३।१६,८५,१२४,१५०,१६४,१६६,१७१; ४१२५:१२६,४२ ठिइकल्लाण (स्थितिकल्याण) ज १८१ ठिइक्खय (स्थितिक्षय) उ३११८,१२५,१५२,४।२६ टंक (टङ्क) प १११ टिट्टिय (दे०) ज ५१६ टोलकिति (दे०) ज २१३३ TER Vठव (स्थापय ) ठवइ ज २१६५ ठविस्मति ज २११४६ ठवेइ ज २१६५ उ १११६,३।५१; ४११८ ठवें तिज २।१०४ ठवेसि उ ३७६ ठवेहि प ११४८।५८,५६ ठवणा (स्थापना) प ११:३३३१ ठवणासच्च (स्थापनासत्य) प १११३३ ठिवाव (स्थापय ) ठवावेइ उ ११४६ ठयाविता (स्थापयित्वा) उ०४६ ठवेत्ता (स्थापयित्वा) उ १.१६ ठविय (स्थापित) ज ३१८१ ठवेत्ता (स्थापयित्वा) १६५ ठा (प्ठा) ठाइ उ ११२२ ठाईऊण (स्थित्वा) ज ३।२४ ठाण (स्थान) ११५४,८४, २१ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ५२,५४ से ६४, ६।११०, १४१५,११ से १५,१७; १७/११४११,१७११४३ स १८५२३।११२३१६,७,१६० ज ३२४, ८६,१०२,१५६,१६२,५१२१,७५६ से ६० सू १०।१३८ से १४१,१४३ से १४६,१४८ से १५१:१६२४,२७ उ ११२२,१४०,३१५१।१ ३१८३,११५,१२०४।२१,२२,२४ ठाणठित (स्थानस्थित) सू१६।२६ ठाणमम्गण (स्थान मार्गण) प २८६,५२ ठाभिज्ज (स्थानी ) उ ११४४,४५ 'ठाव (स्थापय ) ठावेगि उ ३३१३ ठावेत्ता (स्थापयित्वा) उ ३५० ठिइय (स्थितिक) उ १२६,१४०:२०२० ठिईय (स्थितिक) ज ११२४,३१,४६,४७,२१४४; ३१२२५,४।२२,३४,५४,६०,६१,६४,८०,८५, ८६,६७,१०२,१४१,१४२,१६१,१६७,१७७, १८६,१६६,२०८,२६१,२७०,२७२:७५५, ५८,२१३ ठिच्चा (स्थित्वा) प १७४१०७,३४१२२,२३ उ ११२०,३१२६ ठितलेस्स (स्थितलेश्य) प २०४८ ठिति (स्थिति) प ४१ मे ४,६ से ४६,५६ से ५८, ६५,७१,७६,८८,६५,६८,१०१,१०४,११३, १३१,१४०,१४६,१५८,१६५,१६८,१७१, १७४,१८३,२०७,२१०,२१३,२६४,२६७, २६६,५७,१०,१२,१४,१६,१८,२०,२४ से २६,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६,५०,५३, ५६,५६,६३,६८,७१,७२,७४,७८,८३,८६,८६, ६३,६४,९७,१०१,१०२,१०४,१०५,१०७, १११,११२,११६,१२२,१२६,१३१,१३४, १३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७,१४८, १५०,१५४,१६३,१६६,१६६,१७०,१७२, १७४,१७५.१७७,१७८,१८१,१८२,१८४, १८५,१८७.१८८,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१८,२२१,२२४,२२८, २३०,२३२,२३४,२३५,२३७,२३६,२४०, २४२,१००५३।१:२३३१३ से २३,६० से ६४, ६६,६८,६६,७२ से ७७,८०,५१,८३,८५ से ६०,६२,९३,९५ से १६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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