Book Title: Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 214
________________ परदेवता- णिव्वाणमा णिरइदेवता ( निविदेवता ) सू १०१८३ निरइयार (निरतिचार ) प १११२६ निरंतर ( निरन्तर ) प १ ० १३२ से ३४,४०,१११४१० ७१:२०१२५,३१,५३२२१३, १५, १७, १९ से २१, ३६८, ६ ज २११५ रिय ( निय) २१,१०६२३३६,८१.१११, ११३१ १४६, १७१ पिरय (खि) निरयगतिपरिणाम ( निरयगतिपरिणाम ) प १३३३ णिरयगतिय ( निरयगतिक ) प १३३१४ रिमामि ( निरयगामिन् ) व ११२२, ५०, २१५८, १२३, १२८, १४८, १५१,१५७, ४११०१ पिरयावास ( निरयावास ) प २१२० से २४ निरवसेस (निरवशेष ) प ६६२१०१२८ : १७२८ २१।६४,३४।२४:३६२८,४६,६५,६१,७२ रिहंकार (निरहुकार ) ३२७० णिराणंद (निरानन्द) ज २१६०;१०३, १०६,१०८ णिरातंक ( निरातङ्क) ज २०१६ णिरालय ( निरालय ) ज २२६६ णिरालोय ( निरालोक) ज २।१३१ णिरावरण ( निरावरण) ज २२७१८५ णिरंभ ( नि + रुध् ) पिभइ प ३६६२ भिति ३६।९२ रिंभित्ता (विख्य) ३६६२ णिरुद्ध (निरुद्ध ) प २३।१६३ freanट्ठ ( निस्पक्लष्ट) ज २२४११ पिरुच्छाह (निम्याह) न २।१३३ freeda (निरूप ) २३ freuse (free) ज ११५ णिरुविग्य ( निग्नि) निरुहा (नीरुहा ) प ११४८३ शिरेयण ( निरेजन ) प ३६६३,६४ निरोगय (नीरोगक) ज २।१२ णिरोह (निरोध ) प ३६।१२ पिल्लज्ज ( निर्लज्ज ) ज २।३३ १९१६ Jain Education International जिल्लेव ( निर्लेप) ज २१६ विद्दय ( निपतित ) ज ३१२६, ३६ निवदेत्ता (निवृधा) ज ७।३० विड्ढेमाण (निवर्धमान ) ज ७ १३,१६,२२,७२, ७८,८४ णिवण्ण (निषण्ण ) ज ७।१७८ पिवतित ( निपतित ) ज २।१४२ मे १४५ वित्त (निवृत्त) ३११२६ √ णिवय ( नि पत्) णिवयंति ज ५१६४ विह (निवह) ज ३।१०६ निवात ( निपात) प ३६१६१ ज २११३१ शिवाय ( निपात) ज ३।३५,१०६ णि विट्ठ (निविष्ट ) प २०१३६ णिबुढि ( निवृद्धि ) सू १३ । १७ fasढेत्ता (fra) सू ६१ विड्ढेमाण (निवर्धमान ) सुहार णिवेत्ता (निवेद्य) ज ३१८१ ६२७ / णिवेद ( नि + वेदय् ) णिवेएइ ज ३२८१३५।५८ णिवेदम ज ३५ णिवेदेमो ज ३१६० fat (निवेश ) प १।७४ ज ३१२८,३१,४१,४६, ५.२,११५,१३५,१४१.१५१,१६४,१६७३२, १८० वेस ( नि ! वेगय् ) णिवेसेइ ज ५।२१,५८ निवेसेता (निवेश्य ) ज ५१२१ पियण (निर्व्रण) ज २१५३११७७७ १७८ व्वित ( निर्वृत्) सुहार वित्तंति प २३।१६३ मू ६।१ निव्वत्त (निवृत्त) ज ३।३०,४३,५१.६०,६८,७६, १३६,१५१,१७०, १७८,२१६ वित्तपया (निर्वर्तन ) प ३४१२,३ जिध्वत्तणा (निर्वर्तना) प १५५६११, ११६१ व्वित्तिय (निर्वर्तित) प २३/१३ से २३ णिव्वय (निर्व्रत ) ज २।१३५ णिवाद्याय (निर्व्याघात ) प १६।५५ ; २१ । ६५; २८।३१ ज २ ७१,८३ णिव्वाणमग्ग (निर्वाणमार्ग ) ज २२७१ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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