Book Title: Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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१०५४
मुरम्म-सुसाहय
सुरम्म (सुरम्य) ज २११२,४।१३ सू २०१७ सवण्णजहिया (सुवर्णयथिका) ५१७११२७ सुरवर (सुरवर) ज ५७
पीलीजूही सुरवरिंद (सुरवरेन्द्र) ज ३।१०६
सुवण्णमय (स्वर्णमय) ज ४१२६,५३५५. सुरहि (सुरभि) प २३० ज ३।६,१२,३५,८८, सुवग्ण (वासा) (मुवर्ण वर्षा ) ज ५।५७ २२१,२२२
सुवर्णमिप्पि' (गुवर्णशुक्ति) प १७१२७ सुरा (सरा) उ ११३४,४६,७४
सुण्णिद (सपणे द्र) २१३८ सुरादेवी (सुरादेवी) ज ४।४४,२७५,५।१०।१
सुवप्प (गुरप्र) ज ४।२१२,२१२२३ उ४१२।१
सुवयण (सुवचन) उ १।१७ सुरिंद (गुरेन्द्र) प २५० ज २६१, ३।३५:५।१८,
सुविण (स्वप्न) उ ११३३५१२५ २१,४८,५२
सविभत्त (मविभक्त) ज ११३७, २।१४,१५, ३।३ सुरूया (सरूपा) ज ५:१३
सू २०१७ सुरूव (गुरूप) प २।३०,३१,४१,४५,४५११,४८
सुविरइय (सविरचित) ज २११५, ३१२४,४।१३ ज ३।१०६,१३८,४१२६ सू२०१४ उ ११२,
सू २०१७ १३,३१,५३,७८,६५,५२५,२२
सुव्वत (मुद्रत) सू २०१८ सुलद्ध (सुलब्ध) उ १।३४;३।६८,१०१,१३१
सुब्वय (सूबत) सू २०१८।८ सुलस (मुलस) ज ४१६४,२०७
सुन्वया (मुक्ता) उ ३१६६,१००,१०६ से १०८, सुलित्त (मलिप्त) उ ३११३०,१३१,१३४
१११ से ११३,११५,११६,११५.१३२,१३३, सुवरगु (सुवल्गु) उ ४१२१२,२१२।३
१३६,१४१ से १४३,१४५,१४६,१४८,१५० सुवच्छ (मुवत्स) प २।४७।२ ज ४।२०२।१
सुसंगोविय (सुसङ्गोपित) उ ३।१२८ सुवच्छा (सुयत्सा) ज ४।२०४,२३८:५।६।१
सुसंठिय (मुसंस्थित) ज ७१७८ सवण्ण (मपर्ण) प २१३०११,४०1१,८,१०:५१३
ससंपरिहिय (संपरिहित) उ ३.१२८ ज ३।२४।१,२,१३०१,२
सुसंवुय (मुगवृत) ज ३६,२२२ सुक्ष्ण (सवर्ण) प १२०११ ज २।२४,६४,६६;
सुसज्ज (सज्ज) ज ५४३ ३।६,२०,३३,५४,६३,७१,८४,९५,१०६,
सुसद्द (शब्द) ज ७१७८ ११७,१३७,१४३,१५६,१६७/८,१८२,१८४,
सुसमण (नशमन) ज २१५३,१६२ २२२:४१३,२५,२६,५१३८,५२,५५,६७,६८
सुसमदुस्समा (मुपमदुप्पा ) ज २।२,३,६,७,५४,५६ उ ३।४०
सुसमससमा (गुषमापना) ज २२,३,६,७,५२ सुवण्णकुमार (भुषणकुमार) ५ १११३१,२।३७ से
१६१,१६३,१६४,४।१०६ ४०,४१४६६१८
सुसमा (मुषमा) जरा२,३,६,५१,५२,१६०,१६१ सुवण्णकुमारराय (सुपर्णकुमारराज) प २।३७ से
४१८३ ३६
सुसमाहिय (मसमाहित) ज ३१३५ सुवण्णकुमारिद (सुपर्णकुमारेन्द्र) प २१३७,३६
सुसवण (सुश्रवण) ज २११५ सुवण्णकुमारी (मार्णकुमारी) प ४।५२
सुसारखिय (सुसंरक्षित) उ ३.१२८ सुवष्णकूड (मृवर्ण कूट) ज ४।२७५
सुसाहय (समहन] ज२१५ सुवष्णकूला (सुवर्णकला) ज ४१२७२,२७४,२७५; । ६२०
१ हे० २११३८ सिणि (शुक्ति)
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