Book Title: Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
________________
सुसिणिद्ध-सूर
१०८५
सुसिणिद्ध (मस्निग्ध) ज २।१५
सुहम (सूक्ष्म) १२॥३,६,६,१२,१५,३१,३।११२, सुसिलिट्ठ (सुश्लिष्ट) ज ११३७,३१६,१२,१७८, ६१ से ७१.५५ से ६५,१११,१८३,४।५६ से २२२:४।१२८,५४४३,७११७८
६१,६८,७५,८२,८३,६१,६१८३,१०२, सुसीमा (मसीमा) ज४।२०२।२
१५।४३,४५,१८।१।२,३७ से ३६,११६, सुसीस (सुशिष्य) ज ३३१०६
२१४,५,२३ से २७,४०,४१,५०,२३।१२१; सुसेण (सुषेण) ज ३७६.७७,७८,८०,८२ से ११, ३६७६,८१,६२ च ११३ ज २०६७।१७८ १०६ से १११,१२८,१५१ से १५७,१७०,१७१
११.१२८१५१ से १५०.००.०१ सुहुमआउक्काइय (सूक्ष्मअप्काक), ११२१,२२ सुस्सर (सुस्वर) ज २११५,५१५२,५३
सुहुमणाम (सूक्ष्मनामन् ) प २३१३८,११८,१२० सुस्सूसमाण (शुश्रषमाण) ज १६२।६०, ३१२०५, सुहुमतेउक्काइय (मूक्ष्मतजस्कायिक) प १२४,२५ २०६:५१५८ उ ११६
सुहुमवणस्सकाइय (सूक्ष्मवनस्पतिकायिक) सुह (सुख) प २।४८,२।६४११५,१६,२०;३५।१२२,
प १६३०,३१ ३५१०,११:३६।१४।१ ज २११२,२०,७१, सुहमवाउक्काइय (सूक्ष्मवायुकारिक) प १५२७,२८ ३।६,८१,६६,१००,१०१,११७११,१२१,२२२; सुहुमसपराय (सूक्ष्मनाराय) प १११२,११३, ४१२७,४८,१७७; ५।२६,२८ सू १६।२२११३ १२४,१२८, २३।१६१ उ ११११०,१२६,१३३
सुहमसंपरायचरित्तपरिणाम (सूक्ष्मपरायचरित्रसुह (शुभ) प २१४६ ज २।१२,२०:३।
परिणाम) प १३३१२ सुहंसुह (सुखसुख) ज २११४६:३११२१,१२७,
सुहोतार (सुखावतार) ज ४॥३,२५ २२४;५।६७ उ ११२.५०,७५
सुहोदय (सुखोदक, शुभोदक) ज ३१६ २२२ सुहणामा (शुभनामा) ज ७.१२१ सू १०१६१
सुहोवभोग (सुखोपभोग) ज २११४५,१४६ सुहता (सुखता) प २३।१५
सूइ (शुचि) ज ४१२६ सुहत्त (सुखत्य) प २८२४,२६
सूईमुह (सूचीमुख) प ११४६ सुहत्थि (सुहस्तिन) ज ४१२२२१,२२८
सुई (सूची) १५।२६:२१।२५ सुहफास (सुख पर्श, शुभल्पशं) ज १२८ सूणा (मुना) उ १६४४,४५ सुहम्मा (सुधर्मा) ज २।१२०,४।१२०,१२१,१२६, सूमाल (सुकुमार) ज ३।२११:५१५६७११७८ १३८।५।१८,२२,२३,५०,७१८४,१८५
उ १११ से १३,३० से ३२,५३,७८,६५, सू १८।२२,२३ उ ३६,६०,१५६,१६६; १४५,२।५,७,१६,३१६७,४१८,५१२ ४।५; ५११५.१६
सूमाला (सुकुमारा) ज ३१२२१:५१५८ सुहया (सुखतः) २३१३०
सूय (पु) ज ३।१७८,१८६,१८८,२०६,२१०, सुहलेसा (शुभतेश्या) ज ७५८
२१६,२१६,२२१ सुहलेस्सा (शुभमेश्या) सू१६।२२।३०
सूयलि (दे०) प १८९ सुहावह (सुखावह ) में ४१२१२
सूर (यूर) प १११३३; २१२० से २७,४८%) सुहासण (सुखासन) ज ३१२८,४१,४६,५८,६६, १५५५५।३ ज ११२४, २१६८, ३१३५,६५, ____७४,१३६.१४७.१८७,२१८
११७,१५६,१६७।१२,१८८,२०७,२१२; सुहि (सुखिन्) प २१६४१२०, ३६१६४।१ ज २१२६ ५१५६, ७१०२,१३५.१,४,१७७।२.१७८।१, सुहिरणियाकुलुम (सुहिरण्यिकाकुसुम)
१८०,१८१ मु १०।३,१२३,१३४,१४३ से प१७।१२७
१४७,१५० से १६१,१६६ से १६९,१७२,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388