Book Title: Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 286
________________ बेइंदियत्त-भंत ९९९ १०३,१८१५,२१,१६।३;२०१८,२३,२८,३२, ४७:२११६,२८,४२,८६.८८,२२१३१:२३१८६, १५१,१५५ से १५७,१६३,१६,१६७.१७५ २८१३७ से ४०,४२,१००,१०३.११६,१२५, १३६,२६१११ से १३,२१,३०११० से १२, २०,२१:३१॥३:३६१३६,६२ बेइंदियत्त (द्वीन्द्रित्व) प १५१९७,१४२ बॅटट्ठाइ (वृन्तस्थायिन् ) ज ५७ बॅदिय (द्वीन्द्रिय) प १११४,४६,३१४२,४५,४६, १४६,५१५७,६।७१ बेतेयालसतविह (द्वित्रिचत्वारिंशत्शत विध) प १७:१३६ बेयाहिय (दव्याहिक) ज २१४३ बेहिय (दू याहिक) ज २६ बोंडइ (दे०) प ११३७११ बौदि (दे०) प २१३०,३१,४१,४६,६४।२,३ ज ५११८ बोद्धव्व (बोद्धव्य) प १०।१४।२,३४११०२ ज ४।१५६६१,१६२।१,२०४:१,२१०।१; ७।११७।२,१२०।१,१३२।१,१६७।१, १७७३१,२,१८६।४ १०८६,८८,२०1८1८ उ १११७, ३।२।१,४१२६१ बोधव (बोद्धव्य) प १।२०।४,३३३१,३५।२, ३६१२,३७४३,४२१२,४३१२,४८१८,४०, ११८१।१; २१६४।६,७,६१८०१२,१०५३।१; ११३७।२,१७१।१२८।१११ २०१८1७ बोर (बदर) प १६१५५,१७:१३२ बोल (दे०) प २४१ ज २१४२,६५,३।२२,३६, ७८,६३,६६,१०६,१६३,१८०५।२६,७१५५, १७८ सू १६२३ उ १११३८ बोहग (बोधक) ज ५१५,४६ बोहय (बोधक) ज ३।१८८,५।२१ बोहि (बोधि) प २०११७,१८,२६,३४ बोहिदय (बोधिदय) ज ५१२१ बोहिय (बोधित) ज २६१५३१३ भइज्ज (भज) भइज्जति प २०७४ भइन्जति प २२४७३ भइत्ता (भक्त्वा ) सू१।१० से १२ भइत्त (भक्त) प २०६४।१६ भंग (भङ्ग) प ११४८1१० से २०१०१६ से १; १४।२१६१६१०,१५,२१:२२।२५,८४,८६; २४१५,८,१२,२६।४,६,६,१०,२८६११८ भंगुर (भङगुर) ज २१५ भंगी (भृङ्गी) १४८१५,१७।१३१ भंगी (भनी) प १९३५ भंगीरय (भृङ्गिरजम् ) प १७।१३१ भंड (भाण्ड) ज ३।७२,१५०,४।१०७.१४० सू २०१४ उ ११६३,१०५,१०६,११६:३१५०, ५५,६३,७०,७३,१२८ भंडग (भाण्डक) उ ३१५०,५५ भंडवेयालिय (भाण्डवैचारिक) प १११६ भंडार (भाण्डकार) प १९७ भंडी (भण्डी) प १३७।५ शिरीष का पेड़ भंत (भदन्त) प ११७४,८४,२११ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ६४३।३८ से १२०,१२२ से १२४,१७४,१७६ से १८३,४।१ से ४६,५२, ५६ से ५८,६५,७२,७६,८८,६५,६८,१०१, १०४,११३,१३१,१४०,१४६,१५८,१६५, १६८ से १७१,१७४,१७७,१७८,१८०,१८१, १०३,२०७,२१०,२१३,२६४,२९७५१ से ७,६ से १२,१४,१६ से १८,२०,२३,२४,२७ से ३४,३६,३७,४०,४१,४४,४५.४८,४६,५२, ५३,५५,५६,५८,५६.६२,६३,६७,६८,७०,७१, ७७,७८,८२,८३,८५,८६,८८,८६,६२,६३, ६६,६७,१००,१०१.१०३,१०४,१०६,१०७, ११०,१११,११४,११५,११८,११६,१२३ से १२६,१३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३, १४५,१४७,१५०,१५३,१५४,१५६,१५७, १६२,१६३,१६५,१६६,१६८,१६६,१७१, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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