Book Title: Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 320
________________ वइरवेइया-वग्ग १०३३ वहरवेइया (वज्रवेदिका) ज ११३७,४१२७,५२८ वइरसारमइया (बज्रसारमतिका) ज ३८८ वइरसेणा (वज्रसेना ) ज ४।२३८ वइराड (वैराट) प ११६३४ वइरामय (वज्र मय) ज १७,८,११,२४,२।१२०; ३१३०,४१३,७,१३,१५,२४ से २६,२६,३१, ३६,६६,६८,७४,६१,६३,१२८,१४६ ५।३८, ४३,७।१७८,१८५ सू १८।२३ वइरोयणराय (वैरोचनराज) प २३३ ज २१११३ वहरोयणिद (वरोचनेन्द्र) प॥३३ ज २१११३ वइरोसभणाराय (वज ऋषभनाराच) प २३।४५, ६४ ज २४६ वइसमिय (वाक्समित)ज १६८ बइसाह (वैशाख) ज ३१२४;७।१०४,१४६,१५५ सू १०११२४ उ ११२२,१४०,३१४० बइसाही (वैशाखी) ज ७।१३७ सू १०१७,१७,२३, २६ वइस्सदेव (वैश्वदेव) उ ३१५१,५६.६४ वउ (वाच्) प १११५,८,२१ से २६ वंक (वक्रयङ्क) ज २।१३३ वंकगति (वङ्कगति, वक्रगति) प १६१३८,५३ बंग (वन) प ११६३।१ ज २०१५ बंजण (व्य ञ्जन) ज २११४ सू २०१७ वंजणोग्गह (पञ्जनावग्रह) प १५५८१२, १५॥६८,६६,७१ से ७३,७५ वंजुलग (वजुलक) प ११७६ वंझा (वन्ध्या) उ ३६७,१३१ वंत (वान्त) प १८४ सू २०१२ विंद (वन्द्) बंदइ ज ११६२।६०, २१,६५ उ१३१६३८१,४।१३, ५१२० वंदंति उ ४११६,५१३६ वदामि प ११११ ज ५।२१ सू २०६६ उ ११७ वंदिज्जा उ ५१३६ वंदीहामि उ ३१२६ वंदेज्ज ज २१६७ वंद (बन्द) ज ३१२२,३६,७८ उ १३१६ वंदण (बन्दन) उ १११७ वदणकलस (वन्दनकलश) ज ३७,८७,५।५५ वंदणकलसहत्यगय (हस्तगतवन्दनकलश) ज ३।११ वंदणवत्तिय (वन्दनप्रत्यय) ज ५२७ बंदणिज्ज (वन्दनीय) सू १८.२३ वंदिऊण (वन्दित्वा) चं ११४ वंदित्ता (वन्दित्वा) ज ११६ उ १११६,३।८१; ४१४:५४२० वंदिया (वन्दिका) उ४।११ वंस (वंश) ११४१०२ वास वस (वश) १११७५ ज २।१२४,१५२,३१३१, १०६ उ ५१४३ वंसमूल (वंशमूल) ५११४८८ वंसी (वंशी) प ११४७ बंसीपत्त (वंशीपत्र) प ६।२६ वंसीमुह (वंशीमुख) प ११४६ वक्कंत (अवक्रान्त) प ११४८.५३ ज २८५ वक्कंति (अबक्रान्ति) प १११४ बिक्कम (अव--ऋम्) वक्कमइ ५ ११४८१५१ वक्कमति प ११२०,२३,२६,२६,४८६२६ वक्कमति म १६॥२२॥१६ बक्कल (वल्कल) उ ३।५१११ बकवासि (वल्लवासिन्) उ ३१५० वक्ख (वक्षस्) ज २११५ वक्खार (वक्षस्कार) १ २१११५५५२ ज ४१२१२: ६.१० वक्खारकूड (वक्षस्कारकूट) ज ४।२०२, ६.११ वक्खारपव्वय (वक्षस्कारपर्वत) ज ४१६४,१०३ से १०८,१४३,१६२,१६३,१६६,१६७,१६६, १७२ से १७४,१७६,१७८ से १८१,१८४, १८५.१६०,१६१,१६६,१६७,१६६,२००, २०२ से २०५,२०८ से २१२,२१५,२६२, ५.५५;६१० वग (वृक) प११२१ ज २।१३६ वगी (वकी) ५१११२३ वग्ग (वर्ग) प २।६४११५,१६,१२११०,३२,३६, ३७ उ २५ से ८3११,३११,२,४।१,३:५।१, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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