Book Title: Agam 20 Upang 09 Kalpvatansika Sutra Kappavadinsiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 259
________________ ६७२ सू १८/२१, २४:२०१६ पभंजण ( प्रभञ्जन ) प २/४०१७ पणिय ( प्रभणित) उ ३१६८ भव (प्रभव ) प ११1३०1२ / पभव ( प्र + भू) भवति प ११।३०।१ भा (प्रभा ) प २३०,३१,४०६१०,२१४१,४६ ज ३१३५२११; ४१२२,३४,६०,२७२५११८, ३२ पभाव ( प्रभाव) ज ३ ९५, १५६,२२१ पभावई ( प्रभावती) उ ११३३ पभावणा (प्रभावना ) प १३१०१।१४ भास (प्रभास) ज ४।२७२:६११२ से १४ / पास ( प्र + भाष्) पभासइ ज ४१२११ / पचास ( प्र + भास् ) पभासंति ज ७ । १ भासिसु ज ७।१ सू १६३१६ पभासिस्नंति ज ७/१ १६१ पभासेति ज ७५१,५८ सू १६।१ भार्सेसू १६ । १ पमासेति सू १६ । भासंत ( प्रभासमान) सु १६१५/२ प्रभासतित्य ( प्रभासतीर्थ ) ज ३१४३, ४४, ४६ प्रभास तित्याधिपति ( प्रभासतीर्थाधिपति) ज ३१४६ भासतित्थाहिवs ( प्रभासतीर्थाधिपति) ज ३६४७ भासतित्थकुमार ( प्रभासतीर्थ कुमार ) ज ३१४७ से ४६, ५१ भासेमाण ( प्रभासमान ) प २१३० से ३३,३५,३६, ४१, ४८ से ५२,५८ पभि ( प्रभृति) ज २१४६, ३३८६ १७८ १८६, १८८१८६,२००,२१०,२१६,२१६,२२१ _उ_३/१०१,५३१०,१७,१९,३६ पभिति ( प्रभूति) ज ३३१० सू १६२२१२५ पशु (प्रभु) ज ५५,४६,७२१८३, १८४,१८५ सू १५ से २३ उ५/३२ भूय ( प्रभूत) ज ३३८१, १०३, १६७ १४५१७ / पमज्ज ( प्र + मृज् ) पमज्जइ ज ३११२,२०,३३, ५४,६३,७२,८८, १३७, १४३, १६६ Jain Education International भजण-पम्हगध मज्जित्ता ( प्रमृज्य ) ज ३।१२ पमत (प्रमत्त ) प १७३३,२११७२ ज ५।२६ पत्तसंजत ( प्रमत्तनंयत ) ६६८ मत्तसंजय ( प्रमत्तमयत ) प ६६८; १७१२५: २२।६१ मद्द (प्रमर्द) ज ७।१२९११७५ उ ११३६ पण ( प्रमर्दन) ज ५४५ माण ( प्रमाण ) प ११०१६; १२।१२,३८ १५११०,२३, २१।१११, २११८६४,८६,८७,६० से ६३,३०/२५, २६, ३३१३, ३६ ५६,६६,७०, ७४ ज १।३२,३५,४१:२१४ : ६११,१५,१३३, १३८, १४१ से १४५, ३११०६, ११७,१३८, १६७।३,४।१,६,२५,६४,७०,७६, ८६,६०, १०६.१२३,१३३,१३६,१४०१२,१३४ से १६०० १६२ से १६५,१७४, १७५, १९४,२०२,२२२११, २३५,२३६.२४६, २५०, २५१५/४६,४६; ७।३५,१६८१२,१७८ ११२७; २१३४१६ उ १।१३८ ३ १११ १ पमाणभूय ( प्रमाणभूत ) उ ३।११ पमानमित्त (प्रमाणमात्र) २९५, ११५,११६, १५६,५.३८ पमाणमेत्त (प्रमाणनत्र ) ज ११४०, २०१३३,१३४, १४१ से १४५:३।१२,८५,१२,११६,११६, १२२,१२४; ४।१०,५७,५८६१७ माणसंयच्छर (भाणवत्सर) ज ७ १०३,१११ म १०।१२५,१२८ मुइय ( प्रमुदित) २/४११२६,२६५/३११, १२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, १४७, १६८, १।१ २१२,२१३ पमुह (प्रमुख) ज ७।१७६२०१८, २००८५ मोय (प्रमोद) ज ३१२१२,२१३,२१६ म्ह (क्ष्मन्) २४६, ४१२०६२१०, २१२: २१२११ म्ह (पद्म) ज ११५, २५१ पहकूड ( पक्ष्मकूट) व ४।१८४ से १८३,२१० पहगंध (पद्मगंध ) ज २१५०,१६४:४।२०६, २०५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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