Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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अव्यतरागंआउक्कायं समारंभइ बहुतरागं तेउछायं समारंभति अध्यतरागंवाउकायं समारंभइ अपतरागंवणस्सइकायंसमारंभइ अध्यतराग तसकायं समारंभति से तेणटेणं कालोदाई! जाव अप्पवेयणतराए चेव ॥ ३०६॥ अयि भंते! अचित्तावि पोग्गला ओभासंति उज्जोवेति तवेति पभासेंति?, हंता अस्थि, कथेर णं भंते! अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाव पभासेंति?, कालोदाई! कुद्धस्स अणगारस्स तेयलेस्सा निसट्ठा समाणी दूर गंता दूरं निपतइ देसं गंता देसं निपतइ जहिं जहिं च णं सा निपतइ तहिं तहिं च णं ते अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाव पभासंति, एएणं कालोदाई! ते अचित्तावि पोग्गला ओभासंति जाव पभासेति, तए णं से
गारे सम्णं भगवं महावीरं वंदइ नमसतित्ता बहूहिं चउत्थछट्ठम्जाव अव्याणं भावमाणे जहा पढमसए कालासवेसियपत्ते जाव सव्वदुक्खपहीणे। सेवं भंते! सेवं भंते! ति ॥ ३०७॥३० १० इति सप्तमं शतकं ॥
पोग्गल१आसीविस २ रुख ३ किरिय ४ आजीव५ फासुगमदत्ते ७ पडिणीय ८ बंध९ आराहा १० यदस अट्टमंमिसए ॥५७॥रायगिहे जाव एवं क्यासी-कइविहाणं भंते! पोग्गला पं०?, गोयमा! तिविहा पोग्गला पं० २०-पओगपरिणया मीससापरिणया वीससापरिणया ॥ ३०८॥ पओगपरिणया णं भंते! पोग्गला कइविह। पं०?, गोयमा! पंचविहा पं० २०-एगिदियपओगपरिणया) बेइंदियपओगपरिणया जाव पंचिंदियपओगपरिणया, एगिदियपओगपरिणया णं भंते! पोन्गला कइविह। ६०?, गोयमा! पंचविहा ५०|| तं. पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइकाइयएगिदियपयोगपरिणाया, पुढवीकाइयएगिंदियपओगपरिणया णं भंते! ॥ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
[पू. सागरजी ५. संशोधित ॥
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