Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 240
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - जइ आहारगमीसासरीरकायप्पयोग५० किं पणुस्साहारगमीसासरीर०?, एवं जहा आहारगं तहेव मीसगपि मिरवसेसं भाणियवं, जइ|| कम्मासरीरकायप्पओगप० किं एगिंदियकम्मासरीरकायप्पओगप० जाव पंचिंदियकम्मासरीरजाव५०?, गोयमा! एगिंदियकम्मासरीरकायप्पओ० एवं जहा ओगाहणसंगणे कम्मगस्स भेदो तहेव इहावि जाव पज्जतसव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइयजावदेवपंचिंदियकम्मासरीरकायप्पयोगपरिणए अपज्जतसव्वट्ठसिद्धअणु० जावपरिणए वा । जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए| वयभीसापरिणए कायमीसापरिणए?, गोयमा! मणभीसापरिणए वयभीमा० कायमीसापरिणए वा, जइ मणमीसापरिणए किं || सच्चमणमीसापरिणए वा मोसभणभीसापरिणए वा जहा पओगपरिणए तहा मीसापारिणएऽवि भाणियव्वं निस्वसेसं जाव पजत्तसव्वसिद्धअणुत्तरोववाइयजावदेवपंचिंदियकम्मासरीरगमीसापरिणए वा अपजत्तसव्वटुसिद्धअणुजावकम्मासरीरमीसापरिणए|| वाजइ वीससापरिणए किं वनपरिणए गंधपरिणए रसपरिणए फासपरिणए संगणपरिणए?, गोयमा! वनपरिणए वा गंधपरिणए वा। रसपरिणए वा फासपरिणए वा संठाणपरिणए वा, जइ वनपरिणए किं कालवनपरिणए नील० जाव सुकिल्लवनपरिणए?, गोयमा! कालवनपरिणए जाव सुशिलवन्नपरिणए, जइ गंधपरिणए किं सुब्बिगंधपरिणए दुब्धिगंधपरिणए?, गोयमा! सुब्भिगंधपरिणए| दुब्भिगंधपरिणए, जइ रसपरिणए किं तित्तरसपरिणए०? पुच्छ।, गोयमा! तित्तरसपरिणए जाव महररसपरिणए, जइ फासपरिणए किं कक्खडफासपरिणा जाव लुक्खफासपरिणए?, गोयमा कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए,जड़ संगणपरिणए० पुच्छा, । ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥ | पू. सागरजी म. संशोथित For Private And Personal Use Only

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