Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 239
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ | गोयमा ! एगिंदियओरालिय०, एवं जहा ओरालियसरीर कायप्ययोगपरिणए आलावगो भणिओ तहा ओरालियमीसासरीरकायम्पओगपरिणएऽवि आलवगो भाणियव्वो, नवरं बायर वाउकाइयगब्भवक्कतियपंचिंदियतिरिक्खजोणियगब्भवक्कंतियमणुस्साणं, एएसिं णं पज्जत्तापज्जत्ताणं सेसाणं अपज्जत्ताणं, जड़ वेउव्वियसरीर कायप्पयोगपरिणए किं एमिंट्यिवेड व्वियसरीर कायम्पओगपरिणए पंचिदियविउ व्वियजावपरिणए ?, गोयमा ! एगिंदियजावपरिणए वा पंचिंदियजावपरिण वा, जइ एगिंदियजावपरिणए क्रिं वाउ क्काइयए गिंदियजावपरिणए अवाउका इयए गिंदियजावपरिणए ?, गोयमा ! वाउक्काइयए गिंदियजावपरिणए नो | अवा उक्काइयजावपरिणए, एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओगाहणसंगणे वेउव्वियसरीरं भणियं तहा इहवि भाणियव्वं जाव पज्जत्तसव्वद्ध सिद्ध अणुत्तरोववातिय- कप्पातीयवेमाणियदेवपंचिंदियवेड व्वियसरीर कायय्य ओगपरिगए वा अपज्जत्तसव्वटु सिद्ध ० कायम्पयोगपरिणए वा, जइ वेउव्वियमीसासरीरकायम्पयोगपरिणए किं एगिंदियमीसासरीरका यम्प ओगपरिणए का जाव पंचिंदिय० मीसासरीर का यप्पयोगपरिणए वा?, एवं जहा वेउव्वियं तहा मी सगंपि, नवरं देवनेरइयाणं अपज्जतगाणं सेसाणं पूजत्तगाणं तहेव जाव नो पज्जत्तसव्वट्टसिद्ध अणुत्तरोजावप ओग अपजत्तसव्वट्टसिद्ध अणुत्तरोववातिय देवपंचिंदियवेड व्वियमी सासरीर कायप्पओगपरिणे, जइ आहारगसरी कायम्प ओग परिणए किं मणुस्साहारगसरीरका यप्पओगपरिणए अमणुस्साहार गजावप०?, एवं जहा ओगाहणसंवाणे जाव इड्डिपत्तपमत्तसंजयसम्मद्दिट्ठिपज्जत्तगसंखेज्जवासाउयजावपरिणए नो अणिड्डिपत्तपमतसंजयसम्मद्दिद्विपज्जत्तसंखेज्जवासाउयजावप०, | २२८ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only पू. सागरजी म. संशोधित

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