Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 259
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | भगिणी णो मे भज्जा णो मे पुत्ता णो मे धूया नो मे सुहा, मेजबंधणे पुण से अवोच्छिन्ने भवइ, से तेणद्वेणं गोयमा ! जाव नो अजायं । चरइ ॥ ३२७॥ समणोवासगस्स णं भंते! पुव्वामेव थूलए पाणाइवाए अपच्चक्खाए भवइ, से णं भंते! पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेति ?, गोयमा ! तीयं पडिक्कमड़ पडुप्पन्नं संवरेड़ अणागयं पच्चक्खाति, तीयं पडिक्क्रमाणे किं तिविहं तिविहणं पडिक्कमति तिविहं दुविहेणं पडिक्कमति तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति | एक्कविहं तिविहेणं पडिक्कमति एक्कविहं दुविहेणं पडिक्कमति एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कमति ?, गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति तिविहं दूविहेणं वा पडिक्कमति तं चैव जाव एक्कविहं वा एक विहेणं पडिक्कमति, तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति करेंतं णाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा, तिविहं दुविहेणं पडि० न क० न का० करेंतं णाणुजाणड़ मणसा वयसा अहवा न करेड़ न का० करेंतं नाणुजा० मणसा कायसा अहवा न करेइ० ३ वयसा कायसा, तिविहं एगविहेणं पडि०न करेति० ३ मणसा अहवा न करेइ० ३ वयसा अहवा न करेइ० ३ कायमा, दुविहं ति० पं० न करेइ न का० मणसा वयसा कायसा अहवा न करेइ करें नाणुजाणइ मण० वय० काय० अहवा न कारखेड़ करें तं नाणुजा० मणसा वयसा कायसा, दु० दु० ५० न क० न का० म० ३० अहवा न क० न का० म० कायसा, अहवा न क० न का० वयसा कायसा, अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा, अहवा न करे ० करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा, अहवा न करेति करेंतं नाणुजाणति वयसा कायसा अहवा न कारवेति करेंतं नाणुजाणति मणसा पू. सागरजी म. संशोधित ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ २४८ For Private And Personal Use Only

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