Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 273
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भाणियव्वा जाव अहवा इत्थिपच्छाकडा य पुरिसपच्छा कडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति, तं भंते! किं बंधी बंधइ बंधिस्सह बंधी बंधक न बंधिस्सइ बंधी न बंधड़ बंधिस्सइ बंधी न बंधड़ बंधिस्सइ न बंधी बंधड़ बंधिस्सइ न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ?, गोयमा ! भवागरिसं पडुच्च अत्येगतिए बंधी बंधड़ बंधिस्सह अत्येगतिए बंधी बंधड़ न बंधिस्सइ, एवं तं चैव सव्वं जाव अत्येगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ, गहणागरिसं पडुच्च अत्येगतिए बंधी बंधड़ बंधिस्सइ एवं जाय अत्येगतिए न बंधी बंधड़ बंधिस्सइ, णो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, अत्येगतिए न बंधी न बंधइ बंधिस्सइ अत्थेगतिए न |बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ, तं भंते! किं साइयं सपज्जवसियं बंधइ साइयं अपज्जवसियं बंधइ अणाइयं सपज्जवसियं बंधइ अणाइयं अपज्जवसियं बंधड़ ?, गोयमा ! साइयं सपज्जवसियं बंधइ नो साइयं अपज्जवसियं बंधइ नो अणाइयं सपज्जवसियं बंधइ नो अणाइयं अपज्जवसियं बंधइ, तं भंते! किं देसेणं देसं बंधइ देसेणं सव्वं बंधइ सव्वेणं देसं बंधइ सव्वेणं सव्वं बंधइ ?, गोयमा ! नो देसेणं देसं बंधइ णो देसेणं सव्वं बंधइ नो सव्वेणं देसं बंधइ सव्वेणं सव्वं बंधइ । ३४० । संपराइयण्णं भंते! कम्मं किं नेरइयो बंधइ तिरिक्खजोणिओ बंधड़ जाव देवी बंधइ ?, गोयमा ! नेरइओऽवि बंधड़ तिरिक्खजोणिओऽवि बंधड़ तिरिक्खजोणिणीवि बंधड़ मणुस्सोऽवि बंधड़ मणुस्सीवि बंध देवोऽवि बंधड़ देवीषि बंधड़, तं भंते! किं इत्थी बंधड़ पुरिसो बं० तहेव जाव नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसओ बंधइ ?, गोयमा ! इत्थीवि बं० पुरिसोऽवि बंधइ जाव नपुंसगोऽवि बंधइ अहवेए य अवगयवेदो य बंधड़ अहवेए य अवगयवेया य बंधन्ति, जइ ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ २६१ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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