Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 258
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - | रायगिहे जाव एवं क्यासी कति णं भंते! किरियाओ पं०?, गोयमा! पंच किरियाओ पं० ०-काइया अहिगरणिया०, एवं|| किरियापदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव मायावत्तियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति भगवं गोयमे०॥ ३२६॥ श० ८३०४॥ रायगिहे जाव एवं वयासी आजीविया णं भंते! थेरे भगवंते एवं वयासी समणोवासगस्स णं भंते! सामाइयकडस्स समणोवस्सए| अच्छमाणस्स केई भंडं अवहरेजा से णं भंते! तं भंडं अणुगवेसमाणे किं सयं भंडं अगवेसेइ परायगंवा?, गोयमा! सयं भंडं अशुगवेसेति नो परायगं भंडं अणुगवेसेइ, तस्स णं भंते! तेहिं सीलव्व्यगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं से भंडे अभंडे भवति?, हंता भवति, से केणं खाइ गं अटेणं भंते! एवं वुच्चइ सयं भंडं अणुगवेसेइ नो परायगं भंडं अणुगवेसेइ?, गोयमा! तस्सणं एवं भवति | णो मे हिरने नो मे सुवण्णे नो मे कंसे नो मे दूसे नो मे विउलथणकणगरयणमणिभोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमादीए संतसारसावदेजे, ममत्तभावे पुण से अप्परिणाए भवति, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ सयं भंडं अणुगवेसेइ नो परायगं भंडं अणुगवेसेइ, समणोवासगस्स भंते! सामाइयकडस्ससमणोवस्सए अच्छमाणस केति जायं चरेज्जा से णं भते! किं जायंच अजायं चरइ?, गोयमा! जायं चर] नो अजायं चरइ, तस्स भंते! तेहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं सा जाया अजाया भवइ?, हंता भवइ, से केणं खाइ णं अटेणं भंते! एवं वुच्चइ जायं च नो अजायं चरइ?, गोयमा! तस्सणं एवं भवद णो मे माता णो मे पिता णो मे भाया णो मे ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ । |२४७ | पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal Use Only

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