Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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| अम्हे धुढविं अपेच्चमाणा अणभिहणेमाणा जाव अणुवहवेमाणा तिविहंतिविहेणं संजय जाव एगंतपंडिया यावि भवामो, तुझे ||
मजो! अप्पणा चेव तिविहंतिविहेणं अस्संजय जाव बाला याविभवह, तए णं ते अन्नउस्थिया थेरे भगवंते एवं क्यासी केणं कारणेणं अज्जो! अम्हे तिविहंतिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवामो?, तए णं ते थे। भगवंतो ते अन्नउथिए एवं वयासी तुझे णं अज्जो! रीयं रीयमाण पुढविं ० जाव उववेह , नए णं तुझे पुढविं पेच्चेभाणा जाव उवद्दवेमाणा तिषिहतिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह, तए णं ते अन्नउत्थिया ते थे भगवंते एवं क्यासी-तुझे गं अज्जो! गम्भमाणे अगते वीतिकमिजमाणे अवीतिकंते रायगिहं नगर संपाविउकामे असंपत्ते, तए णं ते थे। भगवंतो ते अन्नउत्थिा एवं क्यासी नो खलु अजो! अम्हं गम्ममाणे अगए वीइकमिजमाणे अवीतिकंते रायगिहं नगरं जाव असंपत्ते, अम्हा णं अज्जो! गम्ममाणे गए वीतिकभिजमाणे वीतिक्ते रायगिहं नगरं संपाविउकामे संपत्ते, तुझे णं अप्पणा चेव गम्ममाणे अगए वीतिकमिजमाणे अवीनिकते रायगिहं नगरं जाव असंपत्ते, तर णं ते थे। भगवंतो अन्नथिए एवं पडिहणेति त्ता गइयवायं नाम अझयणं पन्नवईसु ॥ ३३६॥ कइविहे णं भंते! गइप्पवाए पं०?, गोयमा! पंचविहे | गइम्यवाए पं० ०-पयोगगती ततगती बंधणच्छेयणगती उववायगती विहायगती,एत्तो आरब्भपयोगपयं निरवसेसं भाणियध्वं, जाव सेत्तं विहायगई। सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति ॥ ३३७॥श० ८ ३० ७॥ रायगिहे
रायगिहे नयरे जाव एवं क्यासी गूरू गंभंते! पडुच्च कति पडिणीया पं०?, गोयमा! तओ पडिणीया पं००-आयरियपडिणीए II ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥
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| पू. सागरजी म. संशोथित
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