Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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वयसा अहवा न कारवेइ करेतं नाणुजाणइ भणसा कायसा अहवा न कारवेति करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा, दुविहं एक्कविहणं|| पडिकममाणे न करेति न कारवेति भणसा अहवा न करेति न कारवेति वयसा अहवा न करेति न कारवेति कायसा अहवा न करेति करेंतं नाणुजाणइ भणसा अहवान करेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवान करेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा अहवा न कारवेइ करें | नाणुजाणइ भणसा अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवान कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा, एगविहं तिविहेणं पडि० | न करेति मणसा वयसा कायसा अहवा न कारवेइ भणसा वयसा कायसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा, एक्कविहं| दुविहेणं पडिकममाणे न करेति भणसा वयसा अहवा न कोति भणसा कायसा अहवा न करेइ वयसा कायसा अहवा न कारवेति भणसा व्यसा अहवा न कारवेति भणसा कायसा अहवान कारवेइ व्यसा कायसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ भणसा व्यसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा अहवा करें नाणुजाणइ वयसा कायसा, एक्कविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेति मणसा अहवान रेति वयसा अहवान रेति कायसा अहवान कारवेति मणसा अहवान कारवेति वयसा अहवान कारवेइ कायसा अहवा करें नाणुजाणइ भणसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा, पडुप्पनं संवरेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ?, एवं जहा पडिकममाणेणं एगणपन्न भंगा भणिया एवं संवरमाणेणवि एगूणपन्न भंगा भाणियव्वा, अणागयं पच्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं यच्चक्खाइ०? एवं ते चेव भंगा एगणपन्ना भाणियव्वा जाव अहवा रेंतं नाणुजाणइ कायसा, समणोवास गस्सी ॥ श्रीभगवती सूत्र ॥
| पू. सागरजी म. संशोधित
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