Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text ________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
गोयमा! नो पदीवे झियाइ जाव नो पदीवचंपए झियाइ जोई झियाइ, अगारस्स णं भंते! झियायमाणस्स किं आगारे झियाइ कुड्डा झियाइ कडणा झि० धारणा झि० बलहरणे झि० वंसा० झि० मल्ला झि० वग्गा झियाइ छित्तरा झियाइ छाणे झियाति जोती झियाति?, गोयमा! नो अगारे झियाति नो कुड्डा झियाति जाव नो छाणे झियाति जोती झियाति॥ ३३४॥ जीवे णं भंते! ओरालियसरीराओ कतिकिरिए?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चकिरिए सिय पंचकिरिए सियअकिरिए, नेरइए णं भंते! ओरालियसरीराओ कतिकिरिए?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चकिरिए सिय पंचकिरिए, असुरकुमारे णं भंते! ओरालियसरीराओकतिकिरिए?, एवं चेव, एवं जाव वाणिए, नवरं मणुस्से जाहा जीवे, जीवे णं भंते! ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिए?, गोयमा! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए, नेरइए णं भंते! ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिए?, एवं, एसो जहा पढमो दंडओ तहा इमोऽवि अपरिसेसो भाणियव्यो जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे, जीवाणं भंते! ओरालियसरीराओ कतिकिरिया?, गोयमा! सिय तिकिरिया जाव सिय अकिरिया, नेरइया गं भंते! आरोलियसरीराओ कतिकिरिया?, एवं एसोऽवि जहा पढमो दंडओ तहा माणियव्यो जाव वेमाणिया नवरं मणुस्सा जहा जीवा, जीवा णं भंते! ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिया?, गोयमा! तिकिरियावि चकिरियावि पंचकिरियावि अकिरियावि, नेरइया णं भंते! ओरालियसरीरेहितो कइकिरिया?, गोयमा! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि एवं जाव वेमाणिया, नवरं मणुस्सा जहा जीवा, जीवे णं भंते! वेउब्वियसरीराओ कतिकिरिए?, गोयमा! सिय तिकिरिए सिय चकिरिए सिय अकिरिए, नेरइए णं भंते! ॥ ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥ ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only
Loading... Page Navigation 1 ... 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300