Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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आभिणिबोहिय० सुयनाणी ओहिनाणी, जे चउणाणी ते आभिणिबोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी, जे अन्नाणीने नियमा तिअन्नाणी, तं०- भइअनाणी सुयअनाणी विभंगनाणी, केवलदसणअणागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धिया, सजोगी णं भंते! जीवा किं| नाणी०?, जहासकाइया, एवंमणजोगीवइजोगी कायजोगीवि,अजोगी जहा सिद्धा,सलेस्साणं भंते!०? जहासकाइया, कण्हलेस्स णं भंते!०? जहा सइंदिया, एवं जाव पहलेसा, सुक्कलेस्सा जहा सलेस्सा, अलेस्सा जहा सिद्धा, सकसाई णं भंते!०? जहा सइंदिया, एवं जाव लोहकमाई, अकसाई णं भंते!०? पंच नाणाई भयणाए, सवेदा णं भंते!०? जहा सइंदिया, एवं इस्थिवेदगावि, एवं परिसवेयगा एवं नपुसंक०, अवेदगा जहा अकसाई, आहारगाणं भंते! जीवा०? जहा सकासाई नवरं केवलनाणंपि, अणाहारगाणी भंते! जीवा किं नाणी अन्नाणी?, मणपजवनाणवज्जाई नाणाई अन्नाणाणि य तिन्नि भयणाए ॥ ३२०॥ आभिणिबोहियनाणसणं भंते! केवतिए विसए पं०?, गोयमा! से समासओ चविहे पं० २० -दव्वओ खेत्तओ कालओ भावओ, दव्दओ णं आभिणिबोहियनाणी/ आएसेणं सव्वदव्वाई जाणइ पासइ,खेत्तओ आभिणिबोहियणाणी आएसेणं सव्ववेत्तं जाणइ पासइ, एवं कालोओऽवि, एवं भावओऽवि, सुयनाणस्सगं भंते! केवतिए विसए पं०?, गोयमा! से समासओ चविहे पं० २०-दव्वओ०, दवओणं सुयनाणी उवउत्ते सव्वदव्वाई जाणति पासति, एवं खेतओऽवि कालओऽवि, भावणो ण सुयनाणी उवउत्ते सव्वभावे जाणति पासति, ओहिनाणसणं भंते! केवतिए विसए पं०?, गोयमा से समासओ चविहे पं० - दवओ०, दवओणं ओहिनाणी रूविदब्वाइं जाणइ पासइ जहा नंदीए ॥ श्रीभावती सूत्र ॥
| पृ. सागरजी म. संशोधित ||
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