Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 01 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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जाव भावओ, भणपज्जवनाणसणं भंते! केवतिए विसए पं०? गोयमा! से समासओ चविहे पं० २०-दव्वओ०, दव्वओणं उजुमती अणते अणंतपदेसिए जहा नंदीए जाव भावओ, केवलनाणसणं भंते! केवतिए विसए पं०?, गोयमा! से समासओ चविहे पं० २० दव्वओ खेतओ कालओ भावओ, दवओ णं केवलनाणी सव्वदव्वाई जाणइ पासइ एवं जाव भावओ, भइअनाणस णं भंते! || केवतिए विसए पं०?, गोयमा! से समासओ चविहे पं० २०-दब्बओ खेत्तओ कालओ भावओ, दव्वओ णं मइअनाणी मइअन्नाणपरिगयाइंदव्वाइं जाणइ०, एवं जावभावओमइअन्नाणी मइअन्नाणपरिगए भावे जाणइ पासइ,सर केवतिए विसए पं०?, गोयमा! से सभासओ चविहे पं० २०-दव्वओ०, दवओ णं सुयअनाणी सुयअन्नाणपरिगयाई दवाई आघवेति पन्नवेति परुवेइ, एवं खेतओ कालाओ, भावओणं सुयअन्नाणी सुयअन्नाणपरिगए भावे आपवेति तं चेव, विभंगणाणस्स णं भंते! केवतिए विसए पं०?, गोयमा! से समासाओ चविहे पं० २०-दव्वओ०, दवओ णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयाई|| दव्वाइं जाणइ पासइ, एवं जाव भावओ णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणइ पासइ ॥ ३२१॥णाणी णं भंते! गाणीति कालओ केवच्चिरं होई?, गोयमा! नाणी दुविहे पं० २०-साइए वा अपज्जवसिए साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपज्जवसिए से जहन्नेणं अंतोमुहुन्तं उकोसेणं छावष्टुिं सागरोवभाई सातिरेगाई, अभिणिबोहियणाणी णं भंते! आभिणिबोहिय० एवं नाणी आभिणिबोहियनाणी जाव केवलनाणी, अनाणी मइअन्नाणी सुयअन्नाणी विभंगनाणी, एएसिंदसण्हवि संचिट्ठा जहा। ॥श्रीभगवती सूत्र॥ ।
| पृ. सागरजी म. संशोधित
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